कासगंज की अद्भभुत पहचान...यहां इंसानों ने बना दिया वनों का संसार

पूरे देश में प्रकृति के लिहाज से रोल मॉडल बनकर उभरा यूपी का यह जिला, गंगा किनारे चार मानव रोपित वन

कासगंज की अद्भभुत पहचान...यहां इंसानों ने बना दिया वनों का संसार

गजेंद्र चौहान, कासगंज, अमृत विचार। गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल कासगंज यूं ही अपनी पहचान नहीं बनाए हुए है। यहां ऐसे तमाम अद्भुत कार्य हुए हैं, जिन्हें देखकर शासन, सत्ता, जनता सब चकित रह गए। देश में सिर्फ यही एक ऐसा जिला है, जहां बड़े दायरे में एक-दो नहीं, चार-चार मानव रोपित वन हैं। इन वनों में कहीं भौंरे गुनगुनाते हैं, तो कहीं चिड़िया चहकती हैं। कुदरत का यह दृश्य देखने को यहां तमाम लोग पहुंचते हैं। इस अनूठी प्राकृतिक छटा के लिए यह जिला देश भर में रोल मॉडल बन कर उभरा है।

वर्ष 2020 में कोरोना का प्रकोप नहीं होता तो कासगंज का नाम मानव रोपित वनों के मामले में गिनीज बुक के रिकॉर्ड में दर्ज होता। दरअसल, गिनीज बुक की टीम वर्ष 2020 में कासगंज आ रही थी, लेकिन कोरोना महामारी ने बाधा डाल दी। वर्ष 2019 से इस जिले में गंगा किनारे अलग क्षेत्रों में दस लाख से अधिक पौधे रोपित किए गए। आज की तारीख में पांच लाख से अधिक पौधे पेड़ बनकर लहलहा रहे हैं। अब इन्हें गंगा वन, भागीरथ वन, भगवान वराह वन और पाटलावती वन नाम दिया गया है। गंगा वन और भागीरथ वन पूरी तरह विकसित हो चुके हैं, जबकि अन्य वन यौवन अवस्था पर हैं। इन वनों में तत्कालीन जिलाधिकारी सीपी सिंह के प्रयास से डीएफओ रहे दिवाकर वशिष्ठ ने छोटे-छोटे पार्क बनाने का प्रयास किया। इस गौरवशाली उपलब्धि के कारण कासगंज में ग्रामीण पर्यटन की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं। देश में कासगंज इकलौता जिला है, जहां 926 हेक्टेयर क्षेत्रफल में मानव वन रोपित हैं। प्रदेश की राज्यपाल आंनदी बेन पटेल भी इसकी प्रशंसा कर चुकी हैं।

...तो और मनमोहक हो जाएगा नजारा
कासगंज की इस उपलब्धि के बावजूद यहां बेहतर जन सुविधाओं का न हो पाना विचलित करता है। रात्रि प्रवास, गेस्ट हाउस, कैंपिंग की व्यवस्था बढ़िया हो जाएं तो यह जिला पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन जाएगा। साथ ही मानव जनित यहां के वनों में पर्यटकों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम की भी जरूरत है।


आंकड़े की नजर से

गंगा वन
वर्ष 2019: यहां एक लाख 11 हजार पौधे 97 हेक्टेयर क्षेत्रफल में रोपे गए थे।

भगीरथ वन
वर्ष 2021: तीन लाख 91 हजार पौधे 315 हेक्टेयर में रोपे गए थे।

भगवान वराह वन
वर्ष 2022: 80 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 51 प्रजाति के एक लाख एक हजार पौधे रोपे गए थे।

पाटलावती वन
वर्ष 2023: दो लाख से अधिक पौधे रोपे जा चुके हैं। 454 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पांच लाख पौधे रोपे जाने का लक्ष्य है।

दूसरे पर्यटन स्थलों पर भी चल रहा काम
जिला पर्यटन अधिकारी हेमंत शर्मा ने बताया कि गंगा किनारे के सभी वनों में ग्रामीण पर्यटन की संभावनाएं तलाशी गई हैं। प्रयास किया जा रहा है कि यहां बेहतर व्यवस्थाएं बनाई जा सकें। इससे पहले और पर्यटन स्थलों पर कार्य चल रहा है। जल शक्ति मंत्रालय के डॉ. राधाकृष्ण दीक्षित ने बताया कि पूरे भारत में सिर्फ कासगंज जिले में ही मानव रोपित वन हैं। कहीं भी इतने बड़े मानव रोपित वन नहीं हैं। प्रदेश और केंद्र सरकार के अधिकारी पुष्टि कर चुके हैं। गिनीज बुक में कासगंज का नाम मानव रोपित वनों के मामले में दर्ज कराने का प्रयास हो रहा है।