सड़कों पर पानी भरा, लेकिन पीने को नहीं: विकास की रोशनी को तरसती एवरेडी चौराहे की मलिन बस्ती

सड़कों पर पानी भरा, लेकिन पीने को नहीं: विकास की रोशनी को तरसती एवरेडी चौराहे की मलिन बस्ती

लखनऊ, अमृत विचार: पुराने लखनऊ के एवरेडी चौराहे के पास रेलवे लाइन के करीब बसी है मलिन बस्ती आंबेडकर नगर- द्वितीय। यह बस्ती राजधानी के बीचो बीच है, लेकिन अब तक यहां मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं। इस बस्ती से पानी निकासी का कोई इंतजाम नहीं है। वाॅटर वर्क्स ने यहां अपना पम्प हाउस बनाया है, लेकिन पिछले दो वर्षों से वहां पर ताला लटका हुआ है। आसपास के लोग बताते हैं कि यहां का कामकाज तो 10 वर्षों से बंद है। वैसे तो यहां सड़कों पर पानी भरा है, लेकिन सच यह है कि यहां के निवासियों को पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। 'अमृत विचार आपके द्वार' की टीम जब इस मलिन बस्ती में पहुंची तो स्थानीय लोग बाहर निकल पड़े और गिनाने लगे समस्याएं।

सफाई कर्मी यहां नहीं आता, कूड़ा जब ज्यादा हो जाता है तो लगा दी जाती है आग
रेल पटरी के किनारे बसी बस्ती में पहुंचते ही वहां रहने वाले लोग अपनी समस्याओं का पिटारा खोलकर खड़े हो जाते हैं। वह बताते हैं कि यहां कोई सफाई कर्मचारी नहीं आता। कूड़ा ज्यादा हो जाता है तो उसमें आग लगाने के सिवाए हमारे पास कोई विकल्प नहीं रह जाता है। आग लगा कूडे़ को कम किया जाता है।

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पानी का कनेक्शन नहीं, लेकिन बिल आने का सिलसिला बदस्तूर जारी
इस बस्ती में किसी भी घर में पानी का कनेक्शन नहीं है, लेकिन बिल सबके पास आता है। लोगों ने विरोध किया तो उन्हें बताया गया कि अगर किसी के घर से 100 मीटर की दूरी से भी वाॅटर लाइन गुजरती है तो पानी का बिल तो देना ही पड़ेगा।

इन पर बकाया है हजारों का बिल

-राम गुलाम का 90 वर्ग फुट का घर है। उन्हें जलकल विभाग से 2002 से 2024 तक का पानी का बिल 13, 651 रुपये का मिला है।
-बाबू जान 160 वर्ग फुट के घर में रहते हैं। उन्हें सिर्फ 2 वर्षों का बिजली बिल 19,361 रुपये का मिला है।
-वकील मोहम्मद का 14 वर्षों का बिल 18,199 रुपये आया है।
-मोहम्मद अय्यूब का ढाई वर्षों का बिल 20,522 रुपये का है।

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बिल भेजे जाने का तरीका भी सवालों के घेरे में
मलिन बस्ती के लोगों की शिकायत यह है कि किसी का 22 वर्षों का बिल 13 हजार है तो किसी का 2 वर्षों का बिल 20 हजार रुपये है। उनकी शिकायत भी कोई सुनने वाला नहीं है।

-कंचन ठेले पर दुकान लगाती है। वह बताती है कि पिता की मौत हो चुकी है, भाई कोई है नहीं, मां बीमार रहती है, रात-दिन की मेहनत से दो वक्त का गुजारा होता है। हजारों रुपये का पानी का बिल कहां से दिया जाए।

-शकीला बताती है कि पार्षद न यहां आते हैं, न सुनते हैं। फोन करो तो भी कोई सुनवाई नहीं। कूड़ा उठाने तक कोई नहीं आता, गलियों में पानी भरा रहता है।

जीत जाते हैं तो पलटकर नहीं देखते

अमित दीक्षित बताते हैं कि पुराने सभासद बंटी ने अपने कार्यकाल में गली में इंटरलाॅकिंग कराई थी। वह यहां के लोगों की सुनते भी थे। इनसे पहले वाले पार्षद रईस ने भी काम कराया था। पानी की एक टंकी एमएलसी मोहसिन रजा ने लगवाई थी। प्रेमनाथ बताते हैं कि चुनाव में प्रत्याशी पैर छूकर वोट मांगते हैं, जीत जाते हैं तो पलटकर भी नहीं देखते।

एक दिन आती है ट्रेन, बाकी दिन खेल का मैदान होती है पटरी

इस मलिन बस्ती में जो रेलवे लाइन है उससे हफ्ते में सिर्फ एक बार ट्रेन गुजरती है। बाकी दिन यह पटरी बच्चों के खेल का मैदान होता है। पटरी पर बत्तख, मुर्गी, बकरी, कुत्ता व इंसानों के बच्चे खेलते नजर आते हैं।

बोले वार्ड के लोग

-एवरेडी चौराहे से मवइया चौराहे तक रोड के दोनों तरफ नाली नहीं बनी है, जिसकी वजह से पानी की निकासी नहीं हो पाती हैं।
–हरि किशन राठौर

छज्जे से निकल रहे बिजली के खम्भे

-गंदगी के बीच हम लोग रहने को मजबूर हैं। गंदगी की वजह से आए दिन बच्चे बीमार होते रहते हैं। यहां स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की टीम कभी नहीं आती।

–इजहार हुसैन निजामी

-नगर निगम ने हाउस टैक्स बहुत बढ़ाकर भेज दिया है। हम लोग दैनिक मजदूरी करके कमाकर खाने वाले लोग है, कहां से इतना टैक्स दे पाएंगे।

–चांद तारा

-पानी का बिल 13 हजार रुपये भेज दिया है। जबकि हमारे यहां पानी की सप्लाई ही नहीं है। कनेक्शन नहीं है। शिकायत करें तो किससे कोई सुनने वाला नहीं।
–सुमन साहू

-चार महीने से कोई भी नगर निगम का कर्मचारी सफाई करने नहीं आया है जिसकी वजह से जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। कूड़ा लेकर कहां जाएं।
–आरिफ

-नाली बजबजा रही है जिसमें मच्छर पनप रहे हैं। यहां कभी भी नगर निगम फागिंग नहीं करता है। आये दिन यहां पर लोग बीमार होते हैं। अस्पताल पहुंचते हैं या निजी डॉक्टरों के यहां।
–आफताब

-यहां पर बच्चों के खेलने के लिए एकमात्र पार्क है जो इस कदर बदहाल है कि अब बच्चे कम नशेड़ियों का आश्रय स्थल जरूर बन गया है। पार्क में रात में नशेड़ी जमा रहते हैं।
–रामजी शर्मा

-तेल डिपो मोहल्ला एक मलिन बस्ती है, लेकिन घनी आबादी होने के बावजूद यह बस्ती मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है। इस वार्ड की आबादी करीब 37 हजार है। नगर निगर के अधिकारी कोई सुध नहीं लेते हैं। यहां हिन्दू-मुस्लिम की मिश्रित आबादी है।
–अजय अवस्थी बंटी, पूर्व पार्षद

-मिनी ट्यूबवेल पिछले 10 वर्षों से खराब पड़ा है जिसकी वजह से यहां के निवासियों को पानी के लिए भटकना पड़ता है, लेकिन वर्तमान पार्षद से लेकर नगर निगम तक कोई भी लोगों की समस्याओं को नहीं सुन रहा है। –प्रभुनाथ बौध, कोषाध्यक्ष, मिल रोड एवरेडी व्यापार मंडल

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