डीपीआई से उम्मीद

डीपीआई से उम्मीद

वैश्विक वृद्धि दर अभी 3 प्रतिशत से कुछ अधिक है, जो सदी की शुरुआत के बाद से सबसे कम है। विश्व आर्थिक परिदृश्य के अनुसार, 2025 में भी वृद्धि दर 3.2 प्रतिशत रहने की संभावना है। अगर ऐसा होता है तो यह लगातार तीसरा साल होगा जब वृद्धि दर इस स्तर पर होगी। जबकि प्रौद्योगिकी तेज गति से आगे बढ़ रही है। तय है कि यदि इसका उचित तरीके से उपयोग किया जाए तो यह हमें विकास को बढ़ाने, असमानता को कम करने और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की राह में आ रही बाधाओं को दूर करने का मौका प्रदान करेगी।

जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान कई देशों ने बताया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) द्वारा संवर्धित अच्छी तरह से डिजाइन किया गया डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) विकास के लिए डेटा के उपयोग को सक्षम कर सकता है, नई नौकरियां पैदा कर सकता है और बेहतर स्वास्थ्य तथा शिक्षा परिणाम प्रदान कर सकता है। ऐसे में समझना होगा कि भारत में शासन और सेवा वितरण में सुधार लाने में डीपीआई की क्या भूमिका है?

डीपीआई से तात्पर्य सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा प्रदत्त मूलभूत डिजिटल प्रणालियों और सेवाओं से है, जो डिजिटल अर्थव्यवस्था एवं समाज के कार्यकरण को समर्थन देने तथा उसे आगे बढ़ाने का लक्ष्य रखती हैं। महत्वपूर्ण है कि जी 20  की अध्यक्षता के दौरान भारत ने तकनीकी नवाचार के माध्यम से समावेशी और सतत विकास को बढ़ावा देने के  लिए डीपीआई को एक  महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में महत्व दिया।

डीपीआई पारिस्थितिकी तंत्र की विविधतापूर्ण और गतिशील चौड़ाई को उजागर करके भारत को वर्ष 2030 तक 8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में सहायता कर सकती है। परंतु भारत की तीव्र डिजिटल प्रगति के बावजूद इंटरनेट कनेक्टिविटी, स्मार्टफोन और डिजिटल साक्षरता सहित डिजिटल बुनियादी अवसंरचना तक पहुंच अभी भी सीमित है।

भारत के डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए शुरू किए गए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन से महत्वपूर्ण योगदान मिलने की उम्मीद है। डिजिटल बुनियादी अवसंरचना पर बढ़ती निर्भरता भारत को साइबर हमलों, रैनसमवेयर और राज्य प्रायोजित हैकिंग सहित साइबर सुरक्षा खतरों की बढ़ती शृंखला के प्रति उजागर करती है। ऐसे खतरों के विरुद्ध डीपीआई की लचीलापन क्षमता में सुधार करना राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। लचीलेपन को और मज़बूत करने के लिए भारत को मज़बूत डेटा सुरक्षा ढांचे को अपनाना चाहिए, डिजिटल विभाजन को पाटना चाहिए, अनुकूल नियम विकसित करने चाहिए और निरंतर नवाचार एवं सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से अपनी डिजिटल बुनियादी अवसंरचना की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करनी चाहिए।