महिला की मौत मामला: डॉ. रमेश कुमार को KGMU प्रशासन ने माना दोषी, चिकित्सा विश्वविद्यालय से किया गया निष्कासित

महिला की मौत मामला: डॉ. रमेश कुमार को KGMU प्रशासन ने माना दोषी, चिकित्सा विश्वविद्यालय से किया गया निष्कासित

लखनऊ, अमृत विचार। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में तैनात डॉ. रमेश कुमार को निष्कासित कर दिया गया है। केजीएमयू से डॉक्टर को निष्कासित करने का फैसला कुलपति की तरफ से गठित समिति ने लिया है। यह जानकारी केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ.सुधीर कुमार ने शनिवार को दी है। जांच समिति मुख्य चिकित्सा अधीक्षक की अध्यक्षता में बनाई गई थी, इसमें चिकित्सा अधीक्षक, प्रॉक्टर, विभागाध्यक्ष ईएनटी और कुलसचिव सदस्य रूप में रहे। बताया जा रहा है कि जांच समिति ने डॉ. रमेश कुमार को दोषी माना है, जिसके बाद निष्कासित करने फैसला लिया गया है। 

दरअसल, किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में नाक, कान गला विशेषज्ञ डॉ. रमेश कुमार पर महिला के गले का खदरा स्थित एक निजी अस्पताल में जाकर ऑपरेशन करने का आरोप लगा था। आरोप यह भी है कि ऑपरेशन के दौरान बरती गई लापरवाही से महिला कोमा में चली गई थी। जिसके बाद केजीएमयू में करीब 15 दिन वेंटिलेटर सपोर्ट पर रही। शनिवार को उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। मृतका के पति ने मामले की शिकायत स्थानीय थाना मदेयगंज, केजीएमयू प्रशासन और सीएमओ से की थी, शिकायत में दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की गई थी। जिसके बाद केजीएमयू की कुलपति प्रो.सोनिया नित्यानंद ने जांच समिति का गठन कर जांच कराई, जिसमें डॉ. रमेश दोषी पाये गये और केजीएमयू से निष्कासित कर दिया गया है।

लखीमपुर खीरी के ग्राम महराजनगर निवासी पूनम मौर्य (32) आशा कार्यकर्ता थी। पति सुरेन्द्र पाल सिंह ने बताया कि पूनम की आवाज में भारीपन आ गया था। उसे सितंबर महीने में केजीएमयू के ईएनटी विभाग में सर्जन रमेश कुमार को दिखाया गया। जांच के बाद डॉ. रमेश ने गले में मस्सा होने की बात कहते हुए ऑपरेशन कराने को कहा। आरोप है कि केजीएमयू में ऑपरेशन करने की बात पर डॉक्टर ने वेटिंग बताया। साथ ही खदरा स्थित केडी अस्पताल में ऑपरेशन करने का झांसा दिया। सुरेन्द्र पाल के मुताबिक डॉक्टर रमेश के कहने पर उसने 25 अक्टूबर को केडी अस्पताल में भर्ती करा दिया। शाम करीब 5 बजे डॉक्टर ऑपरेशन के लिए पूनम को ओटी में ले गए।

पति सुरेन्द्र ने बताया ओटी में जाने के कुछ देर बाद ही पूनम के चीखने की आवाज आने लगी। स्टाफ में भगदड़ मच गई। डॉक्टर जल्दी ऑक्सीजन सिलेंडर लाने की बात कह रहे थे। इस पर जब वह ओटी में जाना चाहा तो उसे रोक दिया गया। जबरन अंदर जाने पर देखा तो पूनम अचेत पड़ी थी। अंदर ऑक्सीजन तक की व्यवस्था नहीं थी। आनन-फानन में उसे केजीएमयू की इमरजेंसी में ले जाया गया। जहां उसे वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया। बीते शनिवार को उसकी मौत हो गई।

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