हल्द्वानी: गांवों के सार्वजनिक और आपदा संभावित स्थल होंगे रौशन
रजनी मेहता हल्द्वानी, अमृत विचार। जिले के ग्रामसभाओं में सार्वजनिक और आपदा संभावित स्थल सौर ऊर्जा से रौशन होंगे। इसके लिए उरेड़ा की ओर से जिले के ओखकांडा, रामनगर, कोटाबाग और रामगढ़ ब्लॉक में कार्य शुरू हो गया है। योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे स्थान जहां रोशनी की आवश्कता है लेकिन बिजली की व्यवस्था नहीं है ऐसे स्थानों को रोशन करने का लक्ष्य है। इसके लिए लगभग दो करोड़ खर्च कर कार्य किया जा रहा है।
गांवों में बिजली पर निर्भरता कम करने और व्यवस्था नहीं होने पर सार्वजनिक स्थलों को रात में रौशन करने के लिए उरेड़ा की ओर से 30 वॉट की स्ट्रीट लाइट और 75 वॉट के पैनल लगाए जा रहे हैं। विभाग के अनुसार इससे गांवों में पर्यावरण संरक्षण और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने का संदेश भी लोगों के बीच जाएगा।
जिलेभर में 150 गांवों में योजना के तहत कार्य किया जा रहा है। इसमें गांवों के सार्वजनिक स्थल और आपदा संभावित स्थल शामिल हैं जहां जंगली जानवरों और दुर्घटना होने का खतरा है। विभाग की तरफ से यहां लगभग एक हजार स्ट्रीट सोलर पैनल लगाए जाने हैं। दिसंबर तक कार्य पूरा करने का लक्ष्य है।
50 फीसदी कार्य हुआ पूरा
गांवों में जंगली जानवरों का खतरे को देखते हुए विभाग की ओर से प्रस्ताव तैयार किया गया था जिसमें आपदाग्रस्त और संभावित स्थलों को भी जोड़ा गया। विभाग के अनुसार बीते छह माह पहले इसे लेकर प्रस्ताव भेजा गया था। इसमें स्वीकृति मिलते ही कार्रवाई शुरू कर दिया गया है। विभाग के अनुसार अब तक 50 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है।
ग्राम पंचायतों के स्कूलों में भी लगेंगे पैनल
गांवों में बिजली का बोझ कम करने और सौर ऊर्जा का प्रयोग बढ़ाने के लिए जल्द ही कार्य करने की योजना है। उरेड़ा ने 100 से अधिक पंचायतों में सोलर पैनल लगाने के लिए प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय भेजा है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित माध्यमिक स्कूलों को रौशन करने के लिए भी प्रस्ताव भेजे गए हैं। विभाग के अनुसार परियोजना के लिए धनराशि मिलते ही इसमें कार्य शुरू करा दिया जाएगा।
जिले में 150 गांवों में सोलर स्ट्रीट लाइट्स लगनी हैं। इसके लिए कार्य शुरू कर दिया गया है। इसके तहत रामनगर, हल्द्वानी, कोटाबाग, रामगढ़ और ओखलकांडा के गांवों को शामिल किया गया है। जहां पर जंगली जानवरों का खतरा है और सार्वजनिक स्थलों पर बिजली की व्यवस्था नहीं है।
- एसआर गौतम, परियोजना अधिकारी, उरेड़ा हल्द्वानी
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