भ्रामक दावों पर अंकुश
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थान सफलता के बड़े-बड़े दावे करते हैं। कोचिंग संस्थानों के बाहर होर्डिंग में सफलता की गारंटी के 100 प्रतिशत तक दावे किए जाते हैं। ऐसे दावों को पढ़कर आमजन भ्रमित होते हैं, लेकिन अब इन भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने का इंतजाम किया गया है।
उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये दिशा-निर्देश झूठे या भ्रामक दावों, बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई सफलता दरों और उन अनुचित अनुबंधों को लेकर बढ़ती चिंताओं के मद्देनजर तैयार किए गए हैं, जो कोचिंग संस्थान अक्सर छात्रों पर थोपते हैं।
इस तरह के तौर-तरीकों को छात्रों को गुमराह करने, महत्वपूर्ण जानकारी छुपाने, झूठी गारंटी देने आदि के माध्यम से उनके निर्णयों को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। ये दिशा निर्देश कोचिंग में लगे प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होंगे, जिसका मतलब सिर्फ कोचिंग सेंटर ही नहीं है, बल्कि विज्ञापनों के माध्यम से अपनी सेवाओं को बढ़ावा देने वाले सामाजिक रूप से प्रतिष्ठित व्यक्ति पर भी लागू होंगे।
इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य कोचिंग सेंटरों में दाखिला लेने वाले छात्रों को अनुचित दबावों से बचाना है। ऐसे माता-पिता जो अक्सर अपने बच्चों की पढ़ाई में मदद करने में असमर्थ होते हैं, कोचिंग सेंटर को ही एकमात्र उपाय मानते हैं। ट्यूशन की बढ़ती मांग भारत की शिक्षा प्रणाली में गहरी समस्या की ओर इशारा करती है। कुछ लोग अपने बच्चों को कम उम्र से ही कोचिंग क्लास में भेजना शुरु कर देते हैं। इससे कई बच्चों की परफॉर्मेंस में सुधार होता है तो कई पर अतिरिक्त दबाव भी पड़ने लगता है।
कहना गलत न होगा कि देशभर में कोचिंग मंडियों का विस्तार हो रहा है। उनके लुभावने विज्ञापन अभिभावकों को काफी आकर्षित करते हैं। उन्हें लगने लगता है कि इसमें पढ़ाई करके ही उनके बच्चे का जीवन सुधर जाएगा। बच्चों के सपने पूरे करने के लिए किसी के मां-बाप जमीन बेच देते हैं तो किसी के कर्ज लेकर उन्हें भेजते हैं। कुछ वर्किंग पेरेंट्स अपने व्यस्त रूटीन की वजह से भी बच्चों को कम उम्र से कोचिंग भेजने लगते हैं।
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि बच्चों पर कभी भी पढ़ाई का प्रेशर नहीं बनाना चाहिए। प्रेशर डालने से वह पढ़ाई से कतराने लगेगा। इसी वजह से इन दिनों बच्चों के डिप्रेशन में जाने की खबरें भी पढ़ने को मिलती हैं। सरकार की ओर से इस सख्ती से निश्चित ही भ्रम फैलाने वाले विज्ञापन देकर स्टूडेंट्स को फंसाने वाले कोचिंग सेंटर्स पर नकेल कसेगी।