मतदाता सूची मामला: केजरीवाल की पत्नी ने समन को दी चुनौती, भाजपा नेता को हाईकोर्ट का नोटिस
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल की पत्नी की एक याचिका पर बुधवार को भाजपा नेता हरीश खुराना को फिर से नोटिस जारी किया। सुनीता केजरीवाल ने दो विधानसभा सीट की मतदाता सूचियों में उनका नाम होने से कानून का कथित तौर पर उल्लंघन करने को लेकर उन्हें जारी समन को अदालत में चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने कहा कि शिकायतकर्ता खुराना, जिनकी शिकायत पर सुनीता केजरीवाल को समन जारी किया गया था, नोटिस दिए जाने के बावजूद पिछले कई मौकों पर उच्च न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं हुए हैं। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘कार्यालय रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिवादी संख्या 2 (शिकायतकर्ता) को विधिवत नोटिस भेजा गया है। पिछले चार मौकों पर, नोटिस के बावजूद प्रतिवादी संख्या 2 की ओर से कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया। न्याय के हित में, प्रतिवादी संख्या 2 को अदालती नोटिस जारी किया जाना चाहिए।’’
अदालत ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि वह नोटिस भेजे जाने के बाद, अगली सुनवाई की तारीख पर उपस्थित होने में विफल रहते हैं, तो मामले में आगे बढ़ा जाएगा।’’ उच्च न्यायालय ने मामले को आगे की कार्यवाही के लिए 10 दिसंबर को सूचीबद्ध किया है। अदालत ने कहा कि अंतरिम आदेश, जिसके तहत उसने सुनीता केजरीवाल को तलब करने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी, जारी रहेगा।
उच्च न्यायालय ने पिछले साल 6 नवंबर को राज्य के साथ-साथ शिकायतकर्ता को भी सुनीता केजरीवाल की याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें अधीनस्थ अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी। अधीनस्थ अदालत के आदेश में उन्हें आरोप के संबंध में 18 नवंबर 2023 को पेश होने के लिए कहा गया था। भाजपा नेता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया है।
खुराना ने दावा किया है कि सुनीता केजरीवाल का नाम साहिबाबाद विधानसभा क्षेत्र (संसदीय क्षेत्र गाजियाबाद), उत्तर प्रदेश और दिल्ली के चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूचियों में मतदाता के रूप में दर्ज है, जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 17 का उल्लंघन है। उन्होंने दावा किया कि सुनीता केजरीवाल को अधिनियम की धारा 31 के तहत अपराधों के लिए दंडित किया जाना चाहिए, जो झूठी घोषणाएं करने से संबंधित है। इस अपराध के लिए अधिकतम दो साल की कैद की सजा का प्रावधान है।
सुनवाई के दौरान सुनीता केजरीवाल की ओर से पेश वकील ने उच्च न्यायालय में दलील दी कि अधीनस्थ अदालत ने आदेश बिना सोच-विचार किये पारित किया था। उन्होंने दलील दी कि जब सुनीता केजरीवाल ने अपना निवास स्थान बदला, तो उन्होंने अधिकारियों को एक अर्जी दी थी और उनका नाम पिछली मतदाता सूची से हटाना उनका (अधिकारियों का) काम था और इसके लिए उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
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