हल्द्वानी: डॉल्फिन कंपनी के मजदूरों के समर्थन में सामाजिक संगठनों का धरना, न्याय की मांग

हल्द्वानी: डॉल्फिन कंपनी के मजदूरों के समर्थन में सामाजिक संगठनों का धरना, न्याय की मांग

हल्द्वानी, अमृत विचार। डॉल्फिन कंपनी, सिडकुल पंतनगर के मजदूरों की लंबी हड़ताल और आमरण अनशन के समर्थन में आज विभिन्न सामाजिक संगठनों ने हल्द्वानी में श्रम भवन के बाहर धरना-प्रदर्शन किया और प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। इन मजदूरों ने अगस्त 2024 से कंपनी में श्रम कानूनों के उल्लंघन और अस्थायी मजदूरों को स्थायी करने के खिलाफ विरोध शुरू किया था, जो अब आमरण अनशन की स्थिति में पहुंच चुका है। 

मजदूरों का आरोप है कि वे पिछले कई महीनों से श्रम विभाग, प्रशासन और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों से न्याय की मांग कर रहे हैं, लेकिन डॉल्फिन कंपनी के मालिकों और अधिकारियों की हठधर्मिता के कारण उन्हें कोई राहत नहीं मिली है। इन मजदूरों ने बताया कि वे अब तक कंपनी के खिलाफ आंदोलन जारी रखते हुए प्रशासन और राज्य सरकार के सामने अपनी बात रख चुके हैं, लेकिन किसी भी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। 

इस बीच, इन मजदूरों पर दमनात्मक कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने चार मजदूरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ गुंडा एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है। प्रशासन का यह कदम मजदूरों के हौसले को तोड़ने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। इसके बावजूद, 21 अक्टूबर से छह मजदूर, जिनमें चार महिलाएं शामिल हैं, आमरण अनशन पर बैठे हैं। महिला मजदूरों की हालत गंभीर होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उनकी स्थिति अब भी नाजुक बनी हुई है। 

धरने के दौरान विभिन्न श्रमिक और सामाजिक संगठन एकजुट होकर इस संघर्ष में शामिल हुए। प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, इंक़लाबी मजदूर केंद्र, भाकपा-माले, ठेका मजदूर कल्याण समिति, भीम आर्मी, मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान और कई अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस धरने में हिस्सा लिया। इन संगठनों ने प्रशासन और राज्य सरकार से अपील की कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और मजदूरों के संघर्ष के समाधान के लिए तुरंत कदम उठाएं। 

मजदूरों के समर्थन में आयोजित इस धरने से यह संदेश दिया गया कि जब तक डॉल्फिन कंपनी के मालिकों और प्रशासन की तरफ से ठोस कदम नहीं उठाए जाते, मजदूरों का संघर्ष जारी रहेगा। सामाजिक संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही न्याय नहीं मिला, तो यह आंदोलन और तेज किया जाएगा। 

इस आंदोलन ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राज्य के श्रम मंत्री, जो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हैं, डॉल्फिन कंपनी के मालिकों के सामने बेबस हैं, और क्यों मजदूरों को उनका अधिकार प्राप्त नहीं हो पा रहा है।