गाल ब्लैडर का स्टोन हो सकता हैं गंभीर... न करें नजरअंदाज, जरूर अपनाएं ये तरीका

गाल ब्लैडर का स्टोन हो सकता हैं गंभीर... न करें नजरअंदाज, जरूर अपनाएं ये तरीका

लखनऊ, अमृत विचार: पित्ताशय (गाल ब्लैडर) में स्टोन का पता लगते ही ऐसे नजरअंदाज न करें, जितनी जल्दी हो सके सर्जरी कराना चाहिए। देरी होने पर यह सेप्टीसीमिया का कारण साबित हो सकता है। पित्ताशय की थैली का स्टोन इससे निकल कर प्रैंक्रियाज की नली में फंस सकता है। जिससे प्रैंक्रियाज की नली तक फट सकती है। ऐसे में भीतरी अंग खराब हो सकते हैं। ऐसे गंभीर स्थिति वाले मरीजों को भी इंटरवेंशन रेडियोलॉजिकल तकनीक बचाया जा सकता है। यह सलाह इंटरवेंशन टेक्नोलॉजिस्ट देवाशीष चक्रवर्ती ने दी।

देवाशीष चक्रवर्ती संजय गांधी पीजीआई में रविवार को विश्व रेडियोलॉजी दिवस के मौके पर आयोजित जागरुकता कार्यक्रम में जानकारी साझा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि प्रैंक्रियाज में स्टोन फंसने से प्रैक्रिए टाइटस होता है। पेट में तेज दर्द, बुखार की परेशानी होती है। हम लोग फंसे स्टोन को इंटरवेंशन तकनीक से निकालने के साथ ही प्रैंक्रियाज डक्ट फटने से आस –पास फैले जूस को भी निकाल कर जीवन बचा सकते हैं। 

पैंक्रियाटाइटिस क्या है?

पैंक्रियाटाइटिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें आपके पैंक्रियास में सूजन हो जाता है। पैंक्रियास आपके पेट के पीछे की ओर स्थित रहता है और छोटी आंत के पास एक लंबी ग्लैंड है। पैंक्रियास का दो मुख्य काम है- ये शक्तिशाली पाचक एंजाइम्स रिलीज करता है, जो छोटी आंत में भोजन को पचाने में मदद मदद करता है। साथ ही रक्त वाहिकाओं में इंसुलिन और ग्लूकागन को जारी करता है। ये हार्मोन्स शरीर को ऊर्जा के लिए मदद करते हैं। 

दो तरह का होता है पैंक्रियाटाइटिस 

पैंक्रियाटाइटिस क्रोनिक और एक्यूट दो तरह का होता हैं। एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के कुछ सिम्टम्स होते हैं, जो शरीर में अचानक से सूजन का कारण बन जाता है। एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस का सही समय पर अगर इलाज कर लिया जाए तो यह पूरी तरह से ठीक हो जाता है। गंभीर मामलों में एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस टिश्यू को गंभीर नुकसान पहुंचता है। ब्लीडिंग संक्रमण का कारण बनता है। वहीं सही से इलाज न कराने की वजह से बहुत ही गंभीर हो चला जाता है। यह शरीर के महत्वपूर्ण अंग जैसे दिल, लंग्स और किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकता है। 

क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस काफी खतरनाक हो जाता है। ये अक्सर एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस होने के बाद ही होता है। यह लंबे समय तक अल्कोहल का बहुत ज्यादा सेवन करने की वजह से होता है। भारी मात्रा में अल्कोहल का सेवन से आपके पैंक्रियास में हुआ नुकसान दिखाई नहीं देता है, लेकिन अचानक से आपको गंभीर पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण हो सकते हैं।

इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डॉ. रजनीकांत, डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि परक्यूटीनियस ड्रेनेज तकनीक जिसमें अल्ट्रासाउंड से जहां पर जूस जमा स्थिति का पता लगा कर वहां ट्यूब डाल कर जूस निकालते है। नली में जाकर स्टोन को भी निकालते हैं। पित्ताशय के स्टोन के अलावा कई बार प्रैंक्रियाज जूस भी गाढ़ा हो कर स्टोन बन जाता है लेकिन 70 फीसदी मामलों में पित्ताशय स्टोन की कारण बनता है। आयोजन सचिव चीफ टेक्नोलॉजिस्ट सरोज वर्मा ने बताया कि इंटरवेंशन की ओपीडी रोज चलती है विभाग में संपर्क कर सकता है खास तौर जब प्रैंक्रियाज में स्टोन फंसा हो। विभाग की प्रमुख प्रो. अर्चना गुप्ता ने कहा कि एमआरआई की वेटिंग ओपीडी मरीजों को लिए एक सप्ताह करने की दिशा में काम कर रहे हैं। तीन एमआरआई मशीन चल रही है एक ओर पीपीपी मॉडल पर लगने जा रही है। टेक्नोलॉजिस्ट अभय झा ने बताया कि पुरानी मशीन को भी चला रहे है। आरएमएल के रेडियोलाजिस्ट डॉ. गौरव राज ने फोटान काउंट सीटी के बारे में बताया। यूपी एक्स-रे एसोसिएशन के अध्यक्ष राम मनोहर कुशवाहा ने कहा कि एक्स-रे टेक्नोलॉजिस्ट की बीमारी पता लगाने में अहम भूमिका है।

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