फर्जीवाड़ा: एमआई बिल्डर ने 77 करोड़ रुपये की जमीन के बदले दिए महज 35 लाख, जांच में हुआ था खुलासा
सहायक महानिरीक्षक निबंधन की चार साल पहले हुई जांच में हुआ था खुलासा
लखनऊ, अमृत विचार। एमआई बिल्डर की गोसाईंगंज के सरसवां में जिस जमीन पर टाउनशिप की परियोजना चल रही है। वह जमीन फर्जीवाड़ा कर सस्ते दाम पर हथिया ली गई थी। जमीन के असली मालिक दंपती को बिल्डर ने महज 35 लाख रुपये ही दिए थे। जबकि इस जमीन की असल कीमत सर्किल रेट के अनुसार 77 करोड़ रुपये थी।
यह खुलासा सहायक महानिरीक्षक निबंधन द्वितीय की जांच में हुआ था। इस जांच के बाद भी एमआई बिल्डर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। एमआई बिल्डर की सरसवां परियोजना की बुनियाद करीब दस साल पहले रखी गई थी। एमआई बिल्डर के मालिक मो. कादिर और सहयोगी लवी अग्रवाल उर्फ कबीर लवी ने जमीन का सौदा हजरतगंज निवासी धन प्रकाश बुद्धिराजा और उनकी पत्नी नीलू बुद्धिराजा से किया था।
शिकायत होने पर महानिरीक्षक निबंधन ने तत्कालीन सहायक महानिरीक्षक निबंधन द्वितीय से जांच कराई। जांच में सामने आया कि बिल्डर ने जमीन के मालिक दंपत्ति से 22 अप्रैल 2015 को 6000 वर्गमीटर जमीन का सेल डीड तैयार कराया। जिसका बिल्डर एग्रीमेंट किया गया। इसी पर स्टाम्प ड्यूटी जमा की गई थी। जबकि कब्जा 31737 वर्गमीटर जमीन पर किया गया।
जांच में सामने आया कि धन प्रकाश बुद्धिराजा और नीलू बुद्धिराजा को कथित सेल डीड के आधार पर 13 जनवरी 2017 को 35 लाख रुपये दिए गए। जबकि इस भूमि में 15363.50 वर्गमीटर भूमि की न्यूनतम मूल्य दर 25 हजार वर्गमीटर की दर से 38.40 करोड़ रुपये है। वहीं, पूरी भूमि 30727 वर्गमीटर का दाम 25 हजार वर्गमीटर की दर से 77 करोड़ रुपये होता है। सहायक महानिरीक्षक निबंधन द्वितीय ने अपनी रिपोर्ट जनवरी 2021 में महानिरीक्षक को सौंप दी। इसमें निबंधन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों के कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए।
आयकर विभाग के छापे के बाद बढ़ी सक्रियता
अक्टूबर में आयकर विभाग की 25 टीमों ने एक साथ एमआई बिल्डर के 18 ठिकानों पर छापा मारा था। इन ठिकानों से टीम ने दो हजार से अधिक संपत्तियों के दस्तावेज मिले। इनमें डेढ़ सौ से अधिक दस्तावेज बेनामी थे। जबकि कई पूर्व और वर्तमान आईएएस, पीसीएस अधिकारियों के अलावा सपा के कई बड़े नेताओं के नाम सामने आये। आयकर विभाग ने इन संपत्तियों की जांच भी शुरू कर दी है। जल्द ही इस मामले में बड़ी कार्रवाई की संभावना है। इसके लिए उच्चाधिकारियों से आयकर विभाग लगातार संपर्क में हैं।
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