पीलीभीत: थारू महिलाओं से हस्तशिल्प कौशल सीखेंगी PTR से सटे गांवों की महिलाएं, 20 सदस्यीय दल रवाना
पीलीभीत, अमृत विचार: पीलीभीत टाइगर रिजर्व के आसपास गांवों में रहने वाली महिलाएं अब दुधवा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में थारू महिलाओं से हस्तशिल्प कौशल सीखने के साथ इनकी बिक्री को समझेंगी। गुरुवार को स्थानीय महिलाओं का एक 20 सदस्यीय दल दुधवा टाइगर रिजर्व रवाना हो गया।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व एवं डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के सहयोग से पीटीआर की सीमा से सटे गांवों के ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य चल रहा है। ताकि इनकी जंगल पर निर्भरता न हो। इस दिशा में जंगल सीमा से सटे गांवों में मधुमक्खी पालन से शहद उत्पादन एवं सेल्हा गांव को होम स्टे योजना से जोड़ा गया है। इसी कड़ी में अब पीलीभीत टाइगर रिजर्व एवं डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के परस्पर सहयोग से पीटीआर के आसपास के गांवों की महिलाओं को हस्तशिल्प से जोड़ने की कवायद शुरू की गई है।
इसके तहत पीलीभीत टाइगर से सटे गांव पुरैना, चौड़ाखेड़ा, सेल्हा, राजपुर एवं नौजलिया नकटहा की महिलाएं दुधवा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में थारु महिलाओं से हस्तशिल्प पर किए जा रहे कार्यों एवं उनकी बिक्री से जुड़ी बारीकियों को समझेगीं। इसके लिए उक्त पांच गांवों की 20 महिलाओं का एक दल गुरुवार को दुधवा टाइगर रिजर्व रवाना हो गया। पीटीआर मुख्यालय पर एनआरएलएम की डीसी वंदना सिंह ने झंडी दिखाकर महिलाओं को रवाना किया।
इससे पूर्व पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर मनीष सिंह ने कहा कि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की यह पहल महत्वपूर्ण है। गांवों का विकास कुटीर उद्योग से ही होगा। इसके लिए हमें अपने कौशल और संगठन को बढ़ाना होगा। डीसी एनआरएलएम ने कहा कि इससे समूह की महिलाओं की क्षमता का विकास होगा। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी नरेश कुमार ने बताया कि भ्रमण दल में गांव पुरैना, चौड़ाखेड़ा, सेल्हा, राजपुर एवं नौजलिया नकटहा की महिलाओं को एपीओ राजेंद्र कुमार एवं मुकेश कुमार के नेतृत्व में रवाना किया गया है।
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