Transfer Policy: सहायता प्राप्त महाविद्यालयों की तबादला नीति में एनओसी और रोस्टर का अड़ंगा, शिक्षकों ने बताया महज लॉलीपॉप

पांच वर्षों के बजाय केवल तीन वर्षों की सेवा के बाद ही स्थानांतरण किए जाने के प्रस्ताव को मिली है सहमति

Transfer Policy: सहायता प्राप्त महाविद्यालयों की तबादला नीति में एनओसी और रोस्टर का अड़ंगा, शिक्षकों ने बताया महज लॉलीपॉप

रवि प्रकाश सिंह/प्रतापगढ़ अमृत विचार। स्थानांतरण नीति में प्रदेश सरकार के संसोधन से सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों में खुशी है। लेकिन तबादले में रोस्टर पद्धति एवं एनओसी प्रक्रिया को लेकर नाराजगी भी है। शिक्षकों ने इसे महज लॉलीपॉप बताते हुए सरकार से इस प्रक्रिया में परिवर्तन की मांग की है। प्रदेश सरकार ने सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को राहत देते हुए उनके पांच वर्षों की न्यूनतम सेवा  को बदलते हुए केवल तीन वर्षों की सेवा के बाद ही स्थानांतरण किए जाने के प्रस्ताव को सहमति दे दी है।

इससे घर से दूर सेवा दे रहीं महिला एवं दिव्यांग शिक्षकों को विशेष रूप से लाभ होगा, उन्हें अपने परिवार के पास वापस आने का अवसर पहले से कम समय में मिल सकेगा। कैबिनेट द्वारा नियमावली 2024 को मंजूरी मिलने के बाद शिक्षकों में खुशी है। लेकिन स्थानांतरण प्रक्रिया में शिक्षकों को अपने महाविद्यालय के प्रबंध तंत्र और संबंधित विश्वविद्यालय से अनुमोदन लेने को लेकर असंतोष है। 

स्थानांतरण के लिए दोनों प्रबंधकों की सहमति जरूरी

उत्तर प्रदेश सहायता प्राप्त महाविद्यालय अध्यापक स्थानांतरण नियमावली-2024 को मंजूरी मिल गई है। शिक्षकों को पहले की ही तरह अपने संपूर्ण सेवाकाल में स्थानांतरण की केवल एक बार ही सुविधा दी जाएगी। एक डिग्री कॉलेज से दूसरे डिग्री कॉलेज में एकल या पारस्परिक स्थानांतरण के लिए शिक्षक आवेदन करेगा। विश्वविद्यालय के द्वारा अनुमोदित प्रबंधतंत्र विधि सम्मत रूप से गठित होना चाहिए। जिस कॉलेज में शिक्षक पढ़ा रहा है और जिस दूसरे कॉलेज में शिक्षक अपना स्थानांतरण चाहता है, उन दोनों ही प्रबंधतंत्रों की लिखित सहमति सहित उच्च शिक्षा निदेशक को प्रस्ताव भेजा जाएगा। यानी दोनों प्रबंधकों की सहमति से ही स्थानांतरण के लिए प्रस्ताव उच्च शिक्षा विभाग को भेजा जाएगा।

सात महाविद्यालयों में 100 अधिक शिक्षक कार्यरत

जनपद में सहायता प्राप्त सात महाविद्यालय हैं। इनमें एमडीपीजी कॉलेज,पीबीपीजी कॉलेज सिटी,स्नातकोत्तर महाविद्यालय पट्टी,हेमवती नंदन बहुगुणा पीजी कॉलेज लालगंज, राजेश्वर सेवाश्रम महाविद्यालय ढिढुई,मदन मोहन मालवीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कालाकांकर एवं बजरंग महाविद्यालय कुंडा है। सभी कॉलेजों को मिलाकर अन्य जनपद से आकर यहां सेवा देने वाले 100 से अधिक शिक्षक हैं।

प्रीति सिंह...

अतरसंड मदाफरपुर की रहने वाली प्रीति सिंह गोकुलदास महिला हिन्दू कालेज मुरादाबाद में हिंदी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। उन्होंने कहा कि नई स्थानांतरण नीति ने थोड़ी राहत दी है। इसे शिक्षकों की राय लेकर और बेहतर व सरल बनाने की जरूरत है।

डॉ.वर्षा जायसवाल...

पीबीपीजी कॉलेज सिटी में वनस्पति विज्ञान विभाग में अपनी सेवा दे रहीं प्रयागराज की डॉ.वर्षा जायसवाल ने कहा कि नई स्थानांतरण से थोड़ी राहत जरूर मिली है,लेकिन यह महज एक लॉलीपॉप है।

दिलीप सिंह...

स्नातकोत्तर महाविद्यालय पट्टी में  हिंदी विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर गोंडा निवासी दिलीप सिंह का कहना है कि नई तबादला नीति सन्तोषजनक नहीं है। जो तीन साल रहेगा वह दो वर्ष और रह सकता है,लेकिन तकनीकी खामियों को दूर करने की जरूरत है।

प्रो.प्रदीप कुमार सिंह...

सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को लेकर सरकार की नई स्थानांतरण नीति स्वागत योग्य है। लेकिन शिक्षकों की तबादला नीति से एनओसी और रोस्टर पद्धति को समाप्त होना चाहिए। इससे शिक्षकों न केवल राहत मिलेगी बल्कि महाविद्यालयों की स्थिति में और बेहतर सुधार होगा... प्रो.प्रदीप कुमार सिंह, महामंत्री - उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक संघ।

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