कृषि में तकनीकी बदलाव
ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते मोबाइल और इंटरनेट के उपयोग से खेती में प्रौद्योगिकी अपनाने तथा निर्णय लेने में तेजी आ रही है। सरकार की ओर से डिजिटल कृषि मिशन को विभिन्न डिजिटल कृषि पहलों को समर्थन देने के लिए एक व्यापक योजना के रूप में तैयार किया गया है।
सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है। सरकार ने हाल ही में डिजिटल कृषि मिशन के लिए 2,817 करोड़ रुपए के बजट को मंज़ूरी दी, जिसमें 1,940 करोड़ रुपए की केंद्र सरकार की हिस्सेदारी भी शामिल है। मिशन के तहत, ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक डिजिटल अवसंरचना विकसित की जा रही हैं। इससे दक्षता, उत्पादकता और स्थिरता बढ़ रही है। सुदृढ़ डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का निर्माण और आधुनिक प्रौद्योगिकियों का लाभ मिलने पर भारत के कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन संभव हो सकेगा।
भारतीय कृषि को डिजिटल बनाने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि परिशुद्ध कृषि उर्वरकों, पानी और कीटनाशकों के अनुप्रयोग की अनुमति देती है, जिससे संसाधनों का संरक्षण करते हुए फसल की उत्पादकता को अधिकतम किया जा सकता है। डिजिटल समाधान पारंपरिक प्रथाओं पर निर्भरता को कम करते हैं, बेहतर संसाधन प्रबंधन के माध्यम से इनपुट लागत को कम करते हैं।
केंद्र सरकार ने कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए 19 राज्यों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका लक्ष्य वर्ष 2026-27 तक 11 करोड़ किसानों के लिए डिजिटल पहचान बनाना तथा दो वर्षों के भीतर राष्ट्रव्यापी फसल सर्वेक्षण शुरू करना है। डिजिटल कृषि में, किसानों को वित्तीय और क्षेत्र-स्तरीय रिकॉर्ड को एकीकृत करने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने की सुविधा दी जाती है।
जब दुनिया क्वांटम कंप्यूटिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बिग डेटा और अन्य नई तकनीकों की ओर बढ़ रही है, ऐसे में भारत के पास आईटी दिग्गज होने का लाभ उठाने और कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने का एक ज़बरदस्त अवसर है। भारतीय खेती में आईटी क्रांति अगला बड़ा कदम हो सकता है। इसके लिए भारत में किसानों की क्षमता में सुधार हेतु अत्यधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है, कम-से-कम जब तक शिक्षित युवा किसान मौजूदा अल्पशिक्षित छोटे एवं मध्यम किसानों को प्रतिस्थापित नहीं कर देते हैं।
डिजिटल कृषि मिशन के जरिए कृषि में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होगा। ऐसे में पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी मॉडल का विस्तार करके इसमें कृषि पद्धतियों को भी शामिल किया जा सकता है। एआई प्रणालियों के विकास को प्रोत्साहित करें जो पारंपरिक ज्ञान का विश्लेषण कर सकें और उसे सिफारिशों में शामिल कर सकें।