कानपुर में मौसम बदलने से लोग हो रहे बीमार: खांसी, बुखार, जुकाम व गले में हो रही दिक्कत, सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़

कानपुर में मौसम बदलने से लोग हो रहे बीमार: खांसी, बुखार, जुकाम व गले में हो रही दिक्कत, सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़

कानपुर, अमृत विचार। दिन में गर्मी और रात में हल्की सर्दी से मौसम का मिजाज बदल रहा है, जिसका असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। लोग वायरल के साथ ही मौसमी बुखार की चपेट में आकर अस्पताल में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। डॉक्टर खासकर बीपी, शुगर व सांस रोगियों को सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। साथ ही शाम के समय हल्के गर्म कपड़े पहनने को बोल रहे हैं। 

दीपावली के त्योहार के बाद सोमवार को हैलट, उर्सला, केपीएम व कांशीराम अस्पताल की ओपीडी खुली। अधिकतर मरीज वायरल बुखार, खांसी, जुकाम, पेट दर्द, सिर व शरीर में दर्द, दस्त और गले में समस्या से ग्रस्त रहे। कुछ मरीज ऐसे रहे जो त्योहार के समय अधिक पकवान व मिठाई खाने और लापरवाही बरतने के कारण बीमार हुए। 

उर्सला अस्पताल के डॉ. शैलेंद्र तिवारी ने बताया कि मौसम में हो रहे बदलाव के कारण खांसी, सर्दी-जुकाम और वायरल बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ी है। सर्वाधिक दिक्कत अस्थमा के मरीजों के साथ है। दिनचर्या में सजगता बढ़ाना जरूरी है। 

शरीर के तापमान का संतुलन बनाए रखने के लिए गुनगुने पानी का सेवन करें और नहाते समय भी गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभाग के डॉ.जेएस कुशवाहा ने बताया कि लोगों को सर्दी, जुकाम व खांसी के साथ ही गले में भी दिक्कत हो रही है। सिर में दर्द की भी समस्या बता रहे हैं। 

चेस्ट अस्पताल में पहुंचने लगे सांस रोगी

सर्दी का मौसम शुरू होते ही सबसे अधिक दिक्कत सांस के रोगियों को हो रही है। सोमवार को मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल में 12 नए और 22 पुराने सांस के रोगी ओपीडी में दिखाने आए। विभागाध्यक्ष डॉ.संजय वर्मा ने बताया कि अस्थमा सांस से जुड़ी तकलीफ है, जिसमें मरीज की सांस की नली में सूजन और रुकावट पैदा हो जाती है। तब मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है, साथ ही खांसी की समस्या भी बढ़ जाती है।

बच्चों को भी हो रही दिक्कत 

जीएसवीएम के बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ.अरुण कुमार आर्या ने बताया कि बदलते मौसम में नवजात बच्चों का खास ख्याल रखने की जरूरत है। बच्चों को हल्के कपड़े पहना कर रखें। कमरे में कूलर या एसी न चलाएं। समय पर इलाज न होने से सर्दी, बुखार निमोनिया बन सकता है, जिससे बच्चे की हालत भी बिगड़ सकती है। 

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