सहकारिता भर्ती घोटाला: एसआईटी जांच के दायरे में आए कर्मचारियों के पदोन्नति और स्थायीकरण का रास्ता साफ, जल्द शुरू होगी प्रक्रिया

सहकारिता भर्ती घोटाला: एसआईटी जांच के दायरे में आए कर्मचारियों के पदोन्नति और स्थायीकरण का रास्ता साफ, जल्द शुरू होगी प्रक्रिया

अमृत विचार, लखनऊ: सहकारिता विभाग में सपा सरकार में भर्ती हुए कर्मचारियों के पदोन्नति और स्थायीकरण का रास्ता करीब साफ हो गया है। एसआईटी ने 7 में से 6 संस्थाओं की जांच पूरी करके रिपोर्ट शासन को भेज दी है। एक संस्था की रिपोर्ट आनी बाकी है। माना जा रहा है कि नवंबर के आखिर तक एसआईटी अपनी यह रिपोर्ट सौंप देगी। इसके बाद कर्मचारियों के पदोन्नति और बकाया भुगतान की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 

सहकारिता विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक एसआईटी (विशेष जांच दल) ने रिपोर्ट सौंपने में देरी की। इसकी वजह से पदोन्नति और स्थायीकरण की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई। उन्होंने बताया कि जिन सात संस्थाओं में भर्तियां हुई थी उनमे 6 की जांच रिपोर्ट आ चुकी है। इसमे किसी कर्मचारी को दोषी नहीं पाया गया है। जांच यूपी कोपरेटिव बैंक, ग्राम विकास वैंक और जिला सहकारी बैंक में प्रबंधक, सहायक प्रबंधक और कैशियर के पदों पर चयनित 50 अभ्यर्थियों की शैक्षणिक योग्यताएं सही नहीं पायी गई। इसके आधार पर इनकी सेवाएं समाप्त की जा चुकी हैं।  क्लर्क स्तर के 2324 अभ्यर्थियों के सभी दस्तावेज सही पाए गए इसलिए इनकी सेवाएं जारी रखी गईं। लेकिन जांच प्रचलित होने की वजह से इनके पदोन्नति, वेतन वृद्धि और स्थायीकरण पर कोई फैसला नहीं लिया जा सका था। अब जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद इस दिशा में शासन ने कार्यवाही शुरू कर दी है। सभी सस्थाओं के प्रबंध निदेशकों को निर्देशित किया गया है कि पदोन्नति और स्थायीकरण संबंधित प्रक्रिया पूरी करके जल्दी पत्रावली शासन में प्रस्तुत करें।

सहकारी संस्थागत सेवा मंडल पर उठे थे सवाल
 
वर्ष 2015 से 2017 के बीच सहकारिता विभाग की सात अलग-अलग संस्थाओं में 2324 पदों पर भर्तियां की गई थी। इसके लिए उप्र सहकारी संस्थागत सेवा मंडल की तरफ से विज्ञापन जारी कर बाकायदा परीक्षा आयोजित कराई गई थी। परीक्षा पास करके चयनित हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई थी। 2017 में भाजपा सरकार बनने के साथ ही इस भर्ती में घोटाले की आशंका जताकर जांच प्रचलित कर दी गई। जांच की जिम्मेदारी विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंपी गई। करीब चार साल की पड़ताल में एसआईटी ने चयनित अभ्यर्थियों को क्लिनचिट देते हुए भर्ती प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों को दोषी माना। एसआईटी ने सेवामंडल के तत्कालीन चेयरमैन ओमकार यादव, अध्यक्ष रामजतन यादव, सचिव भूपेन्द्र विश्नोई, तत्कालीन प्रबंध निदेशक यूपी कोऑपरेटिव बैंक आरके सिंह सहित एक दर्जन से अधिक विभागीय अधिकारियों के खिलाफ 20 मई 2021 को प्राथमिकी दर्ज करा दी। वर्ष 2022 में एसआईटी ने सभी दोषियों के खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया। एसआईटी जांच में क्लीन चिट मिलने के बाद चयनित अभ्यर्थियों को उनके पदो पर सेवारत रखने का आदेश शासन की तरफ से जारी हो गया। करीब नौ साल से सभी कर्मचारी उसी वेतन और पर पद पर कार्यरत हैं जिसपर उनकी नियुक्ति हुई थी। इस दौरान खाली हुए पदों के सापेक्ष उन्हें पदोन्नति तक का लाभ नहीं दिया गया। एसआईटी जांच पूरी होने के बाद अभी तक इन कर्मचारियों के नियमितिकरण पर कोई विचार नहीं किया। 

इन विभागों में हुई थी नियुक्तियां

सेवा मंडल की ओर से आयोजित परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को यूपी कोऑपरेटिव बैंक, यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक, जिला सहकारी बैंकों, पीसीसीएफ  एवं उत्तर प्रदेश राज्य भंडारागार निगम में नियुक्तियां मिली हैं। उप प्रबंधक, कनिष्क सहायक, सहायक शाखा आंकिक, असिस्टेंट अकाउंटेंट, सहायक प्रबंधक, कैशियर, शाखा प्रबंधक और टंकण आदि पदों पर इनकी भर्तियां हुई हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा सहकार भारती के पूर्व महामंत्री वीरेन्द्र पांडेय ने भर्ती प्रक्रिया में घोटाले का आरोप लगाया था। उन्होंने शासन को पत्र भेजकर आरोप लगया था कि परीक्षा के ओएमआर शीट में बड़े पैमाने पर हेराफेरी करके चहेते अभ्यर्थियों को पास कराया गया है। 

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