देहरादून: विद्युत लोकपाल की सख्त कार्रवाई: यूपीसीएल के अधिकारियों पर उठे सवाल

देहरादून: विद्युत लोकपाल की सख्त कार्रवाई: यूपीसीएल के अधिकारियों पर उठे सवाल

देहरादून, अमृत विचार। बिजली विभाग के कुछ अधिकारियों की लापरवाही ने उपभोक्ताओं के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। इस मामले पर विद्युत लोकपाल ने सख्त नाराजगी जताते हुए यूपीसीएल प्रबंधन को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

मंगलौर निवासी परवेज के पास दो किलोवाट का कनेक्शन है। उन्हें अक्टूबर 2011 से जून 2018 तक बिना रीडिंग के अनुमानित बिजली बिल (आरडीएफ) दिया गया। परवेज ने बार-बार शिकायत की, जिसके बाद मीटर भी सही कर दिया गया। लेकिन फिर से, दिसंबर 2021 से दिसंबर 2023 तक उन्हें बिना रीडिंग का बिजली बिल भेजा गया।

उपभोक्ता फोरम की कार्रवाई

इस स्थिति के खिलाफ परवेज ने विद्युत उपभोक्ता फोरम का सहारा लिया। फोरम ने सभी आरडीएफ बिलों को निरस्त करते हुए कहा कि मीटर यूनिट के आधार पर पिछले तीन बिलिंग चक्रों के औसत विद्युत खपत के आधार पर संशोधित बिल जारी किया जाए। इसके साथ ही, मीटर बदलने का भी आदेश दिया गया।

फोरम के आदेश के बाद, परवेज का नया बिल 30,510 रुपये आया। इससे असंतुष्ट होकर उन्होंने विद्युत लोकपाल में शिकायत की। लोकपाल डीपी गैरोला ने फोरम का आदेश रद्द कर दिया और यूपीसीएल को निर्देश दिए कि इतने लंबे समय तक आरडीएफ बिल देने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। साथ ही, 119 यूनिट प्रतिमाह के हिसाब से बिल का भुगतान करने का आदेश दिया।

हरिद्वार में भी शिकायतें

इसी प्रकार, हरिद्वार में एक स्टोन क्रेशर मालिक ने शिकायत की कि उनके संस्थान पर बिना जानकारी दिए चेक मीटर लगाया गया और मौजूदा मीटर को 33.21 प्रतिशत धीमा मानते हुए 11 लाख 40 हजार का बिल थमाया गया। जब उन्होंने फोरम में अपील की, तो बिल को 4,25,000 रुपये कर दिया गया, जिसे लोकपाल ने रद्द कर दिया।

इन घटनाओं से स्पष्ट है कि बिजली विभाग में सुधार की आवश्यकता है, ताकि उपभोक्ताओं को ऐसी परेशानियों का सामना न करना पड़े। विद्युत लोकपाल की इस सख्त कार्रवाई से उम्मीद की जा रही है कि विभाग में पारदर्शिता और जिम्मेदारी बढ़ेगी।

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