Air Pollution UP: उत्तर प्रदेश की हवा हुई दूषित, पश्चिम में प्रदूषण का कहर, देखें वीडियो

Air Pollution UP: उत्तर प्रदेश की हवा हुई दूषित, पश्चिम में प्रदूषण का कहर, देखें वीडियो

लखनऊ, अमृत विचारः त्यौहारों से पहले ही प्रदूषण ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और गोरखपुर एम्स के संयुक्त अध्ययन किया है। जिसमें यह पता चला है कि झांसी और बरेली में हवा साफ है, जबकि गोरखपुर में प्रदूषण का स्तर सर्वाधिक 200 पार कर चुका है। वहीं बात अगर पश्चिमी यूपी की करें तो पश्चिमी यूपी के शहरों में प्रदूषण की स्थिति ज्यादा खराब है। इनमें नोएडा, गजरौला, खुर्जा, गाजियाबाद और मुरादाबाद जैसे शहर शामिल हैं। शोधकर्ताओं ने साल 2017 से 2023 के बीच उत्तर प्रदेश के 15 शहरों में वायु गुणवत्ता के स्तर की समीक्षा की है। अपनी इस रिसर्च में उन्होंने अमेरिका के ग्लोबल हेल्थ एडवोकेसी इनक्यूबेटर (GHAI) के रिसर्चर्स की भी मदद ली। 

जनसंख्या के लिहाज से देखा जाए तो देश का सबसे बड़े राज्य यूपी भी वायु प्रदूषण की चपेट से चुका नहीं है। यूपी के अधिकांश शहर प्रदूषण की चपेट में आ चुके हैं। हालांकि, यूपी से कई शहरों में बीते चार-पांच सालों में बेहतर प्रयासों के चलते प्रदूषण की स्थिति में छोड़ा काबू पाया जा सका है। 

शोधकर्ताओं का यह अध्ययन द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथ ईस्ट एशिया मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हो चुका है, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत का सबसे बड़ी जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश गंभीर प्रदूषण स्तर का सामना कर रहा है, जिसपर जल्द से जल्द कार्रवाई करनी जरूरी है नहीं तो यह एक विकराल रूप में लोगों के सामने आएगा। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत देश में प्रदूषण से जूझ रहे राज्यों के लिए साल 2026 तक 40 फीसदी की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है। यूपी में प्रदूषण की स्थिति जानने के लिए इस रिसर्च को किया गया था। जिसका रिजल्ट चिंताजनक है। 

2023 में झांसी में 72.73 रहा AQI
स्टडी के मुताबिक साल 2023 में झांसी में सबसे कम AQI का स्तर (72.73) रहा, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के लिहाज से मध्यम श्रेणी में आता है। गोरखपुर में एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर लगातार खराब होता दिखा। साल 2019 में एक्यूआई 249.31 तक पहुंचा। वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, नोएडा और मुरादाबाद जैसे शहरों में भी प्रदूषण की स्थिति काफी बिगड़ी हुई दिखी। 

यहां हुआ सुधार
पूर्वानुमानों के अनुसार पांच साल में बरेली की हवाओं की स्थिति में कमी आई है। प्रदूषणकारी तत्व पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 10 के स्तर में 70% से अधिक की कमी आई है, जबकि मुरादाबाद में 55%, रायबरेली में 58%, आगरा में 41%, गाजियाबाद में 48% और वाराणसी में 40% की कमी आई। वहीं गोरखपुर 50% और प्रयागराज 32%  ने पीएम-10 के स्तर में वृद्धि होने का दावा किया जा रहा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि सरकार और प्रशासन मिलकर भविष्य में इन शहरों में NCAP के लक्ष्यों को पूरा कर सकता है।

_2024 (10)

प्रदूषण की सूची में शामिल ये शहर 
शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के लिए प्रदेश के 15 शहरों को चुना था, जिसमें बरेली, फिरोजाबाद, आगरा, प्रयागराज, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, गजरौला, नोएडा, गाजियाबाद, खुर्जा, लखनऊ, मुरादाबाद, रायबरेली और वाराणसी शामिल हैं।

दो जिलों ने बदली तस्वीर
दो शहरों ने अपनी हवा में काफी सुधार किया है। हवा की गुणवत्ता में सुधर के लिए क्षमता निर्माण महत्वपूर्ण कदम होता है। इसमें लगातार परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली (CAAQMS) की स्थापना और स्वच्छ वायु ऐप शामिल है। इसके अलावा शहरों ने कठोर सड़क धूल प्रबंधन रणनीतियों, कठोर वाहन उत्सर्जन जांच और मजबूत औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण को भी सक्ती से लागू किया है।

गोरखपुर, प्रयागराज रहा पिछड़ा
गोरखपुर और प्रयागराज में प्रदूषण काफी फैला हुआ है। ऐसा अधूरे बुनियादी ढांचे के उन्नयन और प्रदूषण नियंत्रण नियमों का सही से पालन न करने की वजह से हुआ है। प्रशासन की कम कठोरता दिखाने की वजह से लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। इसकी वजह से हवा में सुधार की प्रगति धीमी रही। गोरखपुर में वाहनों की बढ़ती संख्या, तेजी से औद्योगीकरण और अनुचित अपशिष्ट निपटान के अलावा बायोमास को खुले में जलाने से प्रदूषण के स्तर में वृद्धि हुई है। प्रयागराज में कुंभ मेले के आसपास के महीनों के दौरान निर्माण गतिविधियों में वृद्धि, यातायात में वृद्धि और धूल ने पीएम-10 का स्तर बढ़ा दिया है।

यह भी पढ़ेः यूपी के रिंकू और हरियाणा के युजवेंद्र पर होंगी सभी निगाहें, हरियाणा के खिलाफ रणजी मुकाबले में उतरेगी यूपी