Kanpur: पाचों परिवारों पर टूटा दु:खों का पहाड़, किसी ने खोई होनहार बेटी तो किसी ने खोया इकलौता चिराग, हर तरफ फैली चीत्कार

Kanpur: पाचों परिवारों पर टूटा दु:खों का पहाड़, किसी ने खोई होनहार बेटी तो किसी ने खोया इकलौता चिराग, हर तरफ फैली चीत्कार

कानपुर, अमृत विचार। इस दर्दनाक हादसे में किसी ने होनहार बेटी खोई तो किसी ने परिवार का इकलौता चिराग। एलिवेटेड रोड पर हुआ हादसा पांच परिवारों का जीवन भर का जख्म दे गया। और तो और माता पिता के साथ भाई बहनों ने जो सपने देखे थे, वे एक पल में ही चकनाचूर हो गए। 

इस हादसे ने किसी परिवार को कुछ वर्ष पीछे धकेला को किसी परिवार को पूरी तरह से अनाथ कर दिया। मार्चरी से लेकर पोस्टमार्टम तक केवल चीत्कार और रोने की आवाजें सुनाई दीं। इसी बीच पुलिस की टीम मार्चुरी पहुंची और शवों का पंचनामा भरा गया। 

छीन ली त्योहार की खुशियां, शव देख हाथ पैर कपकपाने लगे 

एंबुलेस में रखे शव को बाहर से देखकर और सहारा बनकर लिपटकर आयुषी पटेल के परिजन बिलखने लगे। आयुषी के पिता रमाशंकर पटेल, मां समता और एक भाई आयुष है। जो ग्यारहवीं का छात्र है। सनिगवां में केआर एजुकेशन सेंटर के पास परिवार रहता है। आयुषी कम्प्यूटर साइंस फर्स्ट ईयर की छात्रा थी। पिता की दुलारी आयुषी रोज की तरह सुबह संस्थान जाने के लिए निकली थी। 

इस दीपावली पर पूरा परिवार खुशियां मनाने की सोच रहा था, लेकिन हादसे ने सभी की खुशियां छीन लीं। हैलट अस्पताल में आयुषी की मामा की बेटी शालिनी उमराव सबसे पहले पहुंची। शव देख उनके हाथ पैर कांपने लगे। बोलीं कि विश्वास नही हो रहा, कल ही तो बात हुई थी।

फफक-फफक कर रोये प्रतीक के परिजन, होनी वाली थी बहन शिखा की शादी 
परिवार वालों को जब हादसे में प्रतीक सिंह उर्फ अनुज की मौत की जानकारी हुई तो वे विश्वास नहीं कर पाए। घर से आनन-फानन हैलट अस्पताल पहुंचे। शव देखा तो फफक-फफक कर रो पड़े बोले ये हमारा प्रतीक ही है। 

परिवार में पिता राजेश सिंह, मां मायादेवी गृहणी हैं। परिवार में दो बहनें 25 वर्षीय की शिखा और 27 वर्षीय साक्षी है। शिखा पीएचडी की तैयारी कर रही है जबकि साक्षी गुड़गांव में जॉब कर रही है। दो महीने बाद शिखा की शादी होनी है, जिसकी तैयारी परिवार में चल रही थी। प्रतीक ने कहा था कि बहन की शादी को बड़ी धूमधाम से करना है। 

मुझसे किया था मार्केटिंग करने की जिद, ऐसे ही चला गया

इंजीनियरिंग छात्र सतीश सिंह के पिता रमेश चंद्र सीआरपीएफ में दरोगा हैं, वहीं 23 साल का दूसरा बेटा नीतीश चंदौली में सीआरपीएफ में दरोगा है। ये दोनों इन दिनों घर पर छुट्टी में आए थे। परिवार में मां संतोष कुमारी हैं। भाई नीतीश ने बताया कि सतीश कपड़े और जूतों का बहुत शौकीन था। उसने वादा किया था कि अबकी बार जब आओगे तो मुझे शॉपिंग कराओगे। नितीश ने कहा उसे इस बात का बहुत दु:ख है कि वह भाई को शॉपिंग नहीं करा पाया। पिता के अनुसार मेरा बेटा ऐसे ही चला गया कहते हुए बड़े बेटे के कंधे पर सिर रखकर रोने लगे। 

मेरी बेटी होनहार थी पता नहीं किसकी नजर लग गई

21 वर्षीय गरिमा त्रिपाठी की मां रीता ने मोर्चुरी में आते ही बेटी का शव एंबुलेंस में रखा देखा तो रो पड़ी। बोली बहुत होनहार थी मेरी बेटी न जाने परिवार को किसकी नजर लग गई। गरिमा के टीएसआई पिता भरत कुमार त्रिपाठी को जैसे ही हादसे में बेटी की मौत की जानकारी मिली थी उनके हाथ से फोन छूट गया। परिवार में इंटर में पढ़ने वाली बहन महिमा, आठवीं में पढ़ने वाला भाई कुश है। पिता की लाडली गरिमा की मौत की जानकारी जब परिवार वालों को लगी तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ वह लोग सिर पीट कर रोने लगे। 

करवा चौथ से पहले उजड़ गया मांग का सिंदूर

चालक विजय साहू के बेटे शशांक से लिपटी हुई पत्नी सुमन साहू ने कहा कि विश्वास ही नहीं हो रहा कि कुछ देर पहले ही जो घर से कार से बच्चों को लेकर छोड़ने के लिए निकले थे, वे अब उनके बीच नहीं हैं। वह परिवार के मुखिया थे। अतिरिक्त इनकम के लिए वे अपनी ऑल्टो से बच्चों को छोड़ने जाते थे। सभी बच्चे आस पास के ही थे। करवा चौथ के एक सप्ताह पहले ही सुमन की मांग का सिंदूर उजड़ गया। परिवार में दो बेटे शशांक और हिमांशु हैं। शशांक एमसीए कर रहा है, जबकि हिमांशु 12 वीं का छात्र है।

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