मुरादाबाद में 110 टीबी रोगी मिले एचआईवी पॉजिटिव, अभी 908 की एचआईवी जांच होनी बाकी
निजी और सरकारी स्तर से खोजे जा रहे रोगी
मुरादाबाद, अमृत विचार। स्वास्थ्य विभाग क्षय रोगियों को खोज-खोजकर उनकी सेहत सुधारने पर जोर दे रहा है। जिले में क्षय रोगियों की खोज दो स्तर पर हो रही है। एक तो स्वास्थ्य विभाग अपनी टीम लगा कर रोगियों की पहचान कर रहा है, दूसरे प्राइवेट संस्था डॉक्टर्स फॉर यू (डीएफवाई) भी जिले में क्षय रोगियों पर काम कर रही है। इन दोनों ने मिलकर जनवरी से तीन अक्टूबर तक 12,688 क्षय रोगियों को तलाशा है। इनमें से 110 क्षय रोगी एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं, जबकि अभी 908 रोगियों की एचआईवी जांच होनी है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि क्षय रोगियों में एचआईवी और शुगर की जांच करना बहुत ही जरूरी होता है। यदि किसी रोगी में एचआईवी या शुगर की भी शिकायत मिलती है तो उसका इलाज सामान्य क्षय रोगी से भिन्न हो जाता है। वैसे ये रोगी निश्चित अवधि तक इलाज लेते हैं तो ठीक हो जाते हैं। सामान्य क्षय रोगी छह महीने के ही इलाज में स्वस्थ हो जाता है। कुछ रोगी ऐसे हैं जिनके स्वस्थ होने में साल भर का समय लग जाता है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एनके कुरैचया ने बताया कि प्रत्येक क्षय रोगी का फॉलाेअप भी किया जा रहा है। घनी आबादी में निवास करने वाले रोगियों की विशेष निगरानी हो रही है, ताकि संक्रमण न फैले। उन्होंने बताया कि जिस घर में क्षय रोगी मिलता है, उस परिवार के प्रत्येक सदस्य के स्वास्थ्य की जांच होती है। उन्होंने बताया कि क्षय रोगी की जांच के लिए जिले में 18 केंद्र हैं। यहां उन्हें नि:शुल्क दवाई भी मिलती है। रोगियों को एक सप्ताह या अधिकतम 15 दिन की दवा दी जाती है।
निजी और सरकारी स्तर से खोजे जा रहे रोगी
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एनके कुरैचया ने बताया कि प्राइवेट में काम करने वाली प्राइवेट संस्था डॉक्टर्स फॉर यू को तीन अक्टूबर तक 5540 क्षय रोगियों को खोजने का लक्ष्य था। इसमें लक्ष्य से अधिक 6832 रोगियों को खोज लिया है। इनमें 6147 लोगों का एचआईवी और 6186 का शुगर टेस्ट भी कराया है। इसी तरह सरकारी स्तर पर जनवरी से तीन अक्टूबर तक कुल 5856 क्षय रोगी खोजे गए हैं। इनमें 5633 लोगों का एचआईवी और 5524 का शुगर टेस्ट भी कराया है।
पिछले वर्ष 450 रोगियों की हुई थी मौत
डॉ. एनके कुरैचया ने बताया कि पिछले साल जनवरी से दिसंबर तक जिले में कुल 14,021 क्षय रोगी खोजे गए थे। इनमें से 12,630 रोगी क्षय रोग से मुक्त हो गए हैं, जबकि 450 रोगियों की मौत हो गई। कुल रोगियों में से 941 ऐसे हैं, जिन्होंने बीच में ही इलाज छोड़ दिया या फिर वह दोबारा संपर्क में नहीं आए।
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