प्रयागराज: जिला न्यायाधीशों के खिलाफ अधिवक्ताओं का अशिष्ट व्यवहार अस्वीकार्य
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायाधीशों के प्रति अधिवक्ताओं द्वारा किए जाने वाले अशिष्ट व्यवहार की घटनाओं पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अधिवक्ताओं से अपेक्षा की जाती है कि वह न्यायाधीशों के खिलाफ असंयमित भाषा के प्रयोग से बचें। अधिवक्ताओं द्वारा पीठासीन न्यायाधीशों के प्रति अभद्र व्यवहार किए जाने की घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जा सकती हैं। न्यायाधीश केवल सौहार्दपूर्ण वातावरण में ही काम कर सकते हैं। न्यायालय के अधिकारी होने के नाते अधिवक्ता से अपेक्षा की जाती है कि वह न्यायाधीश के प्रति अभद्र व्यवहार ना करें। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डॉ. गौतम चौधरी की खंडपीठ ने सिविल न्यायाधीश, कानपुर नगर द्वारा योगेंद्र त्रिवेदी नाम के अधिवक्ता के खिलाफ की गई शिकायत पर की।
मालूम हो कि अधिवक्ता ने गत वर्ष हुई एक अदालती कार्यवाही के दौरान कथित तौर पर कोर्ट स्टाफ से फाइल छीन ली थी और ट्रायल कोर्ट के जज के खिलाफ अनावश्यक टिप्पणी भी की थी। हालांकि बाद में सिविल जज की शिकायत पर शुरू की गई अदालती अवमानना की कार्यवाही में नोटिस जारी होने के बाद अधिवक्ता ने बिना शर्त माफी मांगी। कोर्ट ने अवमाननाकर्ता को 25 जनवरी 2024 को संबंधित अदालत के समक्ष प्रस्तुत होकर हलफनामे के माध्यम से माफी मांगने की अनुमति दी, लेकिन हाईकोर्ट और सिविल जज अधिवक्ता की माफी से संतुष्ट नहीं हुए, इसलिए मामले को स्थगित कर दिया गया, जिससे अधिवक्ता बेहतर हलफनामा दाखिल कर सके। मामले की वर्तमान सुनवाई के दौरान अधिवक्ता हाई कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए और दोबारा ऐसी अवज्ञाकारी हरकत न करने का दावा किया।
अधिवक्ता ने कहा कि वह एक युवा अधिवक्ता हैं और न्यायालय से नरम रूप अपनाने का आग्रह करता है। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान उसके अनुरोध को स्वीकार करते हुए कहा कि न्यायालय इस मामले में अधिक गंभीर दृष्टिकोण अपनाने के लिए इच्छुक था, लेकिन इस तथ्य पर विचार करते हुए कि अवमाननाकर्ता एक युवा अधिवक्ता है और उसके द्वारा इस तरह के आचरण का कोई पूर्व आरोप नहीं है, इसलिए कोर्ट उसे सख्त चेतावनी देकर वर्तमान कार्यवाही को समाप्त करती है। हालांकि अगर अवमाननाकर्ता द्वारा भविष्य में ऐसा कोई अवांछनीय कृत्य किया गया तो यह न्यायालय तत्काल अवमानना की कार्यवाही फिर से शुरू कर देगी और मामले में गंभीरता से विचार किया जाएगा। अंत में कोर्ट ने संबंधित जिला न्यायाधीश को अधिवक्ता के आचरण से संबंधित रिपोर्ट हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।