कृषि क्षेत्र में सुधार जरूरी

कृषि क्षेत्र में सुधार जरूरी

भारतीय अर्थव्यवस्था महत्वपूर्ण मोड़ पर है। अर्थव्यवस्था व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता तथा अनुकूल वृद्धि-मुद्रा स्फीति संतुलन के साथ आगे बढ़ रही है। विभिन्न क्षेत्रों तथा बाजारों में बड़े पैमाने पर बदलाव हो रहे हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने 2024-25 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। जबकि विश्व बैंक ने अर्थव्यवस्था के लिए 2024-25 की जीडीपी वृद्धि का अनुमान बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया है।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि उपभोग तथा निवेश मांग में लगातार सुधार के साथ भारत की वृद्धि गाथा बरकरार है, लेकिन अभी तक किए सुधारों के साथ भूमि, श्रम और कृषि बाजारों में भी सुधार की जरूरत है। दास ने कहा कि  बेहतर मानसून तथा खरीफ की अच्छी बुवाई से खाद्य मुद्रा स्फीति का परिदृश्य अधिक अनुकूल हो सकता है।

वित्तीय क्षेत्र को समावेशी वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल मंच तक पहुंच बढ़ानी चाहिए और उनका इस्तेमाल करना चाहिए। वास्तव में कृषि क्षेत्र समावेशी विकास के लिए एक महत्वपूर्ण खंड है और अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन प्रदान करता है, खासकर तब जब अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन न कर रही हो। भारत में एक बड़ी कृषक आबादी निवास करती है। यदि कृषि क्षेत्र समस्याग्रस्त बना रहेगा तो भारत में पहले से ही मौज़ूद आर्थिक असमानता में और भी वृद्धि होगी तथा समग्र मांग में भी कमी आ सकती है जिसके परिणाम स्वरुप आर्थिक वृद्धि भी नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती है। 

विश्व बैंक को उम्मीद है कि पिछले वर्ष की कमजोर प्रवृत्तियों की तुलना में इस वर्ष निजी खपत में 5.7 प्रतिशत और कृषि क्षेत्र में 4.1 प्रतिशत की वृद्धि होगी। कृषि क्षेत्र में सुधार औद्योगिक विकास में थोड़ी नरमी की भरपाई कर सकता है और कमजोर मांग को पुनर्जीवित कर सकता है। साथ ही मध्यम अवधि में निजी निवेश को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

गौरतलब है कि कृषि एक राज्य सूची का विषय है इसलिए केंद्र की भूमिका सीमित है, लेकिन जिस प्रकार जीएसटी को लागू करने में केंद्र-राज्यों के बीच अभूतपूर्व सहयोग देखा गया है। ऐसा ही सहयोग कृषि क्षेत्र में भी अपेक्षित है। एकीकृत परिषद का निर्माण करके कृषि से संबंधित समस्याओं का समाधान खोजा जा सकता है। समय की मांग है कि सरकारें इस क्षेत्र को भी गंभीरता से लें तथा व्यापक रणनीति के आधार पर सुधारों को लागू करने का प्रयास करें, जिससे इस क्षेत्र में ढांचागत परिवर्तन लाया जा सके।

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