मुरादाबाद : छह दिन बाद जिले में लौटे सीएचओ, शुरू किया स्वास्थ्य सेवा कार्य

ओपीडी में देख रहे मरीज, ऑनलाइन फीडिंग का भी शुरू किया काम 

मुरादाबाद : छह दिन बाद जिले में लौटे सीएचओ, शुरू किया स्वास्थ्य सेवा कार्य

कांठ सीएचसी क्षेत्र के नवादा में आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर रोगियों को देखते सीएचओ मुकेश चौधरी

मुरादाबाद। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) लखनऊ में छह दिनों के धरना-प्रदर्शन के बाद मंगलवार को अस्पताल लौट आए हैं। जन आरोग्य मंदिरों पर उनकी उपस्थिति है। यहां वह रोगियों का स्वास्थ्य परीक्षण कर रहे हैं। यही नहीं, जननी सुरक्षा योजना, नियमित टीकाकरण व अन्य स्वास्थ्य संबंधी तमाम योजनाओं की प्रगति के आंकड़ों की पोर्टल पर फीडिंग भी शुरू कर दी है। बड़ी बात ये है कि वह लोग अटेंडेंस मैनेजमेंट सिस्टम (एएमएस) पर हाजिरी भी देने लगे हैं। अभी तक सीएचओ एएमएस पर बदलाव होने से उसका विरोध कर रहे थे। अब इनकी हाजिरी में आंख का रेटिना स्कैन होने पर उपस्थिति दर्ज होने के निर्देश हैं। इसी बात का ये लोग विरोध कर रहे हैं। 

फिलहाल, सीएचओ का राज्य स्तर पर चल रहा धरना सोमवार को स्थगित हुआ है। उप्र एसोसिएशन ऑफ कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर्स के पूर्व प्रदेश महामंत्री मुकेश चौधरी और जिलाध्यक्ष जितेंद्र सिंह का कहना है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक डॉ. पिंकी जोवल ने मांगों के संबंध में पत्र शासन को भेजा है। उन्होंने भरोसा दिया है कि आप (सीएचओ) लोग काम पर लौट जाओ, अब शासन को मांगों के संबंध में प्रस्ताव भेज दिया गया है। जिसके स्वीकृत होने पर आपके लिए अतिरिक्त व्यवस्थाएं की जाएंगी। 

मुकेश चौधरी ने बताया कि जिले में 255 हेल्थ एवं वेलनस सेंटर है, जो 5,000 से लेकर 10,000 तक की आबादी क्षेत्र पर प्रत्येक सेंटर स्थापित है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में नेटवर्किंग की इतनी अधिक समस्या है कि ऑनलाइन पोर्टल पर काम करना तक मुश्किल रहता है। उनकी अन्य मांगों में वेतन विसंगति और स्थानांतरण के बिंदु भी शामिल हैं। एएमएस पोर्टल पर हाजिरी से लेकर नियमितीकरण, समान वेतन, ईएल की व्यवस्था, स्वेच्छिक स्थानांतरण से संबंधित मांगे हैं। 

जिलाध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने बताया कि उनके संगठन की तरफ से 17 अगस्त को मुख्यमंत्री को संबोधित मांग पत्र में स्पष्ट किया था कि यदि उनकी मांगे 20 तक पूरी न हुईं तो वह लोग आंदोलन को विवश होंगे। इसलिए उन लोगों ने पहले काली पट्टी बांधकर और फिर ऑनलाइन स्ट्राइक कर सांकेतिक विरोध जताया था। लेकिन, इसके बाद भी जब उनकी नहीं सुनी गई तो वह लोग लखनऊ में जाकर धरना-प्रदर्शन करने को विवश हुए। इन सीएचओ की नाराजगी का नतीजा यह हुआ कि किट के माध्यम से डेंगू, मलेरिया, शुगर, फाइलेरिया आदि 14 प्रकार की जांच और विभिन्न योजनाओं के आंकड़े जो पोर्टल पर दर्ज किए जाते हैं, यह कार्य बाधित हो गया था। इससे रोगियों व ई-संजीवनी, यूडीएसपी पोर्टल (डेंगू, मलेरिया आदि की जांच के आंकड़े) भी प्रभावित हुआ और स्टेट की रेटिंग पर असर पड़ने लगा था।

12 बजे तक 23 रोगियों का स्वास्थ परीक्षण
कांठ सीएचसी क्षेत्र के सीएचओ मुकेश चौधरी ने बताया कि उपकेंद्र पर सुबह से ही रोगियों की भीड़ लग रही है। दोपहर के 12 बजे तक 23 रोगियों की ओपीडी हुई थी। इस तरह शाम चार बजे तक करीब 100 रोगियों के स्वास्थ परीक्षण होने की उम्मीद है। आ रहे रोगियों में बुखार व शरीर दर्द की समस्या वाले रोगी अधिक हैं।

कब-कब क्या हुआ?
14 अगस्त से आंदोलन शुरू किया। ऑनलाइन हाजिरी देना बंद कर दिया था। 
17 अगस्त को मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम व सीएमओ को दिया। 
21 अगस्त को आंदोलन की गति बढ़ाते हुए ऑनलाइन कार्य करना भी बंद कर दिया था।
28 अगस्त को राजधानी में धरना देने को चले गए थे।
02 सितंबर को फिर से काम पर लौट आए हैं।

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