हरिद्वार: जूना अखाड़े के वरिष्ठतम महामंडलेश्वर महायोगी पायलट बाबा का मुंबई के एक अस्पताल में निधन

हरिद्वार, अमृत विचार। हरिद्वार श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े के वरिष्ठतम महामंडलेश्वर महायोगी पायलट बाबा का आज मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन से जूना अखाड़े सहित समस्त संत समाज व अखाड़े में शोक की लहर व्याप्त है। हरिद्वार में उनके निधन पर श्रद्धाजंलि सभा का आयोजन किया गया।
जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्री महंत हरी गिरी महाराज के निर्देश पर जूना अखाड़े की पूरे प्रदेश में स्थित सभी शाखाओं, आश्रमों और मुख्य पीठों पर शोक सभा व शांति पाठ का आयोजन किया जा रहा है। जूना अखाड़े द्वारा तीन दिन का शोक घोषित किया गया है। इन तीन दिनों में पायलट बाबा की आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ हवन तथा विशेष पूजा अर्चना की जाएगी।
श्री महंत हरी गिरी महाराज ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पायलट बाबा एक सच्चे योगी व समाज की देश की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। वह 1974 में विधिवत दीक्षा लेकर जूना अखाड़े में शामिल हुए और अपनी सन्यास यात्रा प्रारंभ की। सन्यासी बनने से पूर्व पायलट बाबा भारतीय वायुसेना में पायलट के रूप में कार्यरत थे और उन्होंने 1962, 1965, 1971 के युद्ध में भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर के पद पर रहते हुए भाग लिया था।
भारत के सबसे चर्चित संतों में से एक एक पायलट बाबा कभी सेना में विंग कमांडर थे और उनका असली नाम कपिल सिंह राजपूत है। कपिल सिंह राजपूत उर्फ पायलट बाबा का जन्म बिहार के सासाराम जिले में हुआ था। उन्होंने काशी विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की और सेना में भर्ती हो गये। उनकी बहादुरी के लिए सम्मानित भी किया गया. लेकिन फिर एक विमान हादसे ने उनका पूरा जीवन बदल दिया।
पायलट बाबा बताते थे कि बात 1996 की है जब वह एक मिग फाइटर प्लेन उड़ा रहे थे। यह एक रूटिन उड़ान थी। वह पूर्वोत्तर भारत के आकाश में तभी उनके विमान में कुछ तकनीकी खराबी आ गई। उनका विमान का दुर्घटनाग्रस्त होना तय था, तभी उन्हें पीछे से अपने गुरु जी हरि बाबा की आवाज सुनाई दी। हरि बाबा उन्हें मार्गदर्शन करते रहे या यूं कहें की अपने गुरु जी की शक्तियों की वजह से वह सकुशल अपने विमान को जमीन पर उतारने में सफल हो सके। तभी से उन्होंने निर्णय लिया कि वह शांति और आध्यात्म का जीवन बिताएंगे।
पायलट बाबा जूना अखाड़े के विभिन्न पदों पर रहते हुए अखाड़े की उन्नति प्रगति विकास के लिए हमेशा कार्यरत रहे। 1998 में महामंडलेश्वर पद पर आसीन होने के बादउन्हें 2010 में उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर पद पर अभिषिक्त किया गया। श्री महंत हरी गिरी महाराज ने कहा पायलट बाबा की अंतिम इच्छा के अनुसार उन्हें उत्तराखंड की पावन भूमि में समाधि दी जाएगी। जूना अखाड़े के समस्त पदाधिकारी और वरिष्ठ संत, महामंडलेश्वर उनको समाधि देने के लिए पहुंचेंगे।
जूना अखाड़ा हरिद्वार में पायलट बाबा के ब्रह्मलीन होने पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसमें राष्ट्रीय सचिव श्री महंत महेश पुरी सचिव श्रीमान शैलेंद्र गिरी श्री महंत पूर्ण गिरी श्री महंत सुरेशानंद सरस्वती, कोठारी महंत महाकाल गिरी, महंत रतन गिरी, महंत हीरा भारती, महंत गौतम गिरि, महंत आकाश पूरी, महंत धीरेंद्र पूरी आदि ने उनको श्रद्धांजलि दी तथा भैरव अखाड़ा घाट पर मां गंगा में श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।