Health Tips: जन्म के एक घंटे के भीतर कराएं स्तनपान, बच्चे की बचाएं जान; कानपुर में डॉक्टरों ने केस स्टडी कर किया खुलासा
कानपुर, अमृत विचार। जन्म के एक घंटे के दौरान बच्चे के लिए मां का पहला गाढ़ा दूध अमृत समान होता है। जिसकी वजह से बच्चे को ना सिर्फ शारीरिक ऊर्जा मिलती है। बल्कि मानसिक विकास में भी सहयोग मिलता है। इसके साथ ही कई प्रकार के संक्रमण से भी बच्चे का बचाव होता है, जिसकी वजह से बच्चे को एनआईसीयू में जाने की नौबत नहीं आती हैं।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में प्रतिदिन 15 से 20 गर्भवतियों का प्रसव कराया जाता है, जिनमें हाई रिक्स प्रेग्नेंसी से ग्रस्त गर्भवती भी शामिल हैं। प्रसव के बाद हर तीसरे नवजात को एनआईसीयू की जरूरत होती है।
इस संबंध में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की डॉ.सीमा द्विवेदी ने टीम के साथ तीन सौ गर्भवतियों पर केस स्टडी की। डॉ.सीमा द्विवेदी ने बताया कि तीन सौ गर्भवतियों का प्रसव कराने के बाद उनके बच्चों को पहले घंटे में ही स्तनपान कराकर अध्ययन किया गया।
सही से स्तनपान करने वाले 90 फीसदी बच्चों को एनआईसीयू की जरूरत नहीं पड़ी। 10 फीसदी बच्चे एनआईसीयू में गए लेकिन उनकी रिकवरी जल्द हुई। मां के पहले गाढ़े दूध में कोलेस्ट्राम होता है, जो विटामिन, एंटीबॉडीज और न्यूट्रिएंट्स से भरपूर होता है। यह मेटाबॉलिज्म रेगुलशे न ठीक रखता है, जो सेहत के लिहाज से एक अहम पहलू है।
यह होते हैं फायदे
डॉ. सीमा द्विवेदी ने बताया कि इंफेक्शन के दौर में इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। दरअसल, बाहरी माहौल में आते ही इंफेक्शन से बचाव बहुत जरूरी होता है, क्योंकि नवजात में इम्यून सिस्टम पूरी तरह डेवलप नहीं होता, यहां एंटीबॉडीज उसकी रक्षा करती हैं। मां के शरीर से बाहर आते ही उसके टेम्प्रेचर में बदलाव होता है।
शरीर के टेम्प्रेचर को स्टेबल रखकर गर्माहट देना भी इसका एक अहम फायदा है, जो स्तनपान से मिलता है। यहदूध आसानी से पच जाता है, जिससे बच्चे का डाइजेस्टिव सिस्टम मजबूत होता है। स्तनपान से हड्डियां मजबूत होती हैं, बच्चे की शारीरिक और मानिसिक ग्रोथ अच्छी रहती है।
सही स्तनपान कराने के लिए तैनात की स्टाफ
अस्पताल में आने वाली प्रसूताओं को स्तनपान की सही जानकारी उपलब्ध कराने के लिए अस्पताल में अलग से स्टाफ की भी तैनाती की गई है। प्रसव चाहे नार्मल हो या सिजेरियन, स्टाफ की ड्यूटी बच्चे को मां के पास ले जाकर स्तनपान करना है और उन्हें जागरूक करना है।