Prayagraj News : गाजियाबाद की पुलिस उपाधीक्षक के पदावनति आदेश को किया रद्द
अमृत विचार, प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद की पुलिस उपाधीक्षक के पदावनति (डिमोशन) आदेश को निरस्त करते हुए उत्तर प्रदेश प्रशासन व पुलिस के उच्च अधिकारियों को निर्देश दिया कि याची की तदर्थ आधार पर पुलिस उपाधीक्षक पद पर पदोन्नति होगी और यह पदोन्नति उसके खिलाफ चल रही आपराधिक कार्रवाई के निर्णय के अधीन रहेगी।
उक्त आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार की एकलपीठ ने गाजियाबाद की पुलिस उपाधीक्षक/डिप्टी एसपी लक्ष्मी सिंह चौहान की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया। दरअसल गाजियाबाद में निरीक्षक के पद पर तैनाती के दौरान याची और 6 अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ डिप्टी एसपी डॉ. राकेश कुमार मिश्रा द्वारा साहिबाबाद, गाजियाबाद द्वारा आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत थाना लिंक रोड, गाजियाबाद में प्राथमिकी दर्ज कराई गई। याची सहित अन्य पुलिसकर्मियों पर आरोप था कि नोएडा गौतमबुद्ध नगर के अभियुक्त राजीव सचान को 31 लाख रुपए और अभियुक्त आमिर को 14 लाख 81 हजार 500 रुपए के साथ गिरफ्तार किया गया जबकि पूछताछ के दौरान अभियुक्तों ने क्रमशः 55 लाख और 60- 70 लाख रुपए बरामद होने की बात बताई। बरामद की गई धनराशि और अभियुक्तों द्वारा बताई गई धनराशि में लगभग 60-70 लाख रुपए का अंतर होने के कारण याची सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया।
इसके बाद मेरठ में विशेष न्यायाधीश के समक्ष डिस्चार्ज एप्लीकेशन दाखिल की गई, जिस पर सुनवाई करते हुए याची सहित सभी पुलिसकर्मियों को दोषमुक्त कर दिया गया। इसके बाद सरकार द्वारा डिस्चार्ज आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट में आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दाखिल की गई, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मेरठ के विशेष न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगा दी। इसी बीच 23 अप्रैल 2022 को याची के बैच के 33 निरीक्षकों को डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति प्रदान की गई, लेकिन याची के खिलाफ आपराधिक मामला विचाराधीन होने के कारण उसे पदोन्नति नहीं दी गई। हाईकोर्ट ने याची के मामले पर विचार करते हुए शासनादेश के अनुसार पदोन्नति पर निर्णय लेने का निर्देश दिया। तत्पश्चात 29 अगस्त 2023 को याची को प्रशासन द्वारा डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति प्रदान कर दी गई। याची ने आगरा में चार्ज ग्रहण भी कर लिया।
9 महीने डिप्टी एसपी के पद पर कार्य करने के पश्चात 11 जून 2024 को विशेष सचिव(गृह) द्वारा अचानक याची के पदोन्नति आदेश को निरस्त कर दिया गया और उसे इंस्पेक्टर के पद का कार्यभार सौंप दिया गया। याची ने उक्त आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आक्षेपित आदेश को रद्द कर याची को पुनः डिप्टी एसपी के पद पर बहाल कर दिया, साथ ही पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा उसे डिप्टी एसपी से इंस्पेक्टर बनाए जाने के आदेश की संस्तुति को भी निरस्त कर दिया।
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