World Hepatitis Day: हेपेटाइटिस बी व सी के वायरल लोड का ट्रायल...दवा भी आई, नि:शुल्क होगा इलाज

हेपेटाइटिस बी व सी के वायरल लोड का ट्रायल

World Hepatitis Day: हेपेटाइटिस बी व सी के वायरल लोड का ट्रायल...दवा भी आई, नि:शुल्क होगा इलाज

कानपुर, अमृत विचार। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में हेपेटाइटिस बी और सी से ग्रस्त मरीजों की वायरल लोड की जांच और इलाज नि:शुल्क हो सकेगा। इसके लिए कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम का सेंटर बनाया गया है। यहां पर हेपेटाइटिस बी व सी के वायरल लोड का ट्रायल शुरू हो चुका है। कुछ दवाएं भी आ गई हैं। 

जीएसवीएसएस पीजीआई के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में एक माह में करीब 50 मरीज हेपेटाइटिस बी और करीब 30 मरीज हेपेटाइटिस सी से पीड़ित पहुंचते हैं। वहीं, हैलट अस्पताल के मेडिसिन विभाग की ओपीडी में हेपेटाइटिस बी से ग्रस्त करीब 20 मरीज और हेपेटाइटिस सी से ग्रस्त करीब 10 मरीज प्रति सप्ताह पहुंचते है। 

लेकिन अभी कॉलेज के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग में हेपेटाइटिस बी व सी के वायरल लोड की जांच की सुविधा नहीं होने पर माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग से सैंपल लखनऊ भेजे जाते थे, जहां से रिपोर्ट आने में कई सप्ताह लगते और मरीजों को दिक्कत होती थी। वहीं, निजी डायग्नोस्टिक सेंटर से जांच कराने पर मरीज को 16 से 17 हजार खर्च करने पड़ते है। 

अब जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी में नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीएचसीपी) का सेंटर बनाया गया है, जिसके नोडल अधिकारी मल्टी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एंड पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यट के गैस्ट्रोइंटोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार है। 

नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम सेंटर में हेपेटाइटिस बी व सी के वायरल लोड की जांच का ट्रायल शुरू हो गया है। डॉ. विनय कुमार ने बताया कि हेपेटाइटिस बी में इस्तेमाल की जाने वाले इंटिकावीर व टेनोफोविर और हेपेटाइटिस सी के लिए सोफोसवीर व वेलपाटासवीर दवा आ गई है, यह दवा मरीजों को निशुल्क दी जाएगी, जिसकी कीमत बाहर 15 से 16 हजार रुपये प्रतिमाह है।  

स्क्रीनिंग, इलाज के साथ डाटा भी होगा फीड  

माइक्रोबायोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. सुरैया खानम ने बताया कि विभाग में ही एनवीएचसीपी है। ट्रायल के बाद यहां पर मरीजों की स्क्रीनिंग एलाइजा विधि से की जाएगी। सभी मरीजों का डाटा एमआईएस पोर्टल पर फीड किया जाएगा।

एलाइजा विधि से पता चलेगा कि मरीज में वायरल का लोड कितना ज्यादा है या कम है। जिन मरीजों में लोड ज्यादा होगा उनका डॉक्टर द्वारा अलग इलाज किया जाएगा, जिनका वायरल लोड थोड़ा सही होगा, उनका उस हिसाब से इलाज होगा।

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