Paris Olympics 2024 : निजी कोच की मांग करना खिलाड़ियों का अधिकार, विजेंदर सिंह ने दिया बयान

Paris Olympics 2024 : निजी कोच की मांग करना खिलाड़ियों का अधिकार, विजेंदर सिंह ने दिया बयान

नई दिल्ली। वैश्विक प्रतियोगिताओं में महासंघ द्वारा नियुक्त राष्ट्रीय कोचों के अलावा निजी कोचों की आवश्यकता है या नहीं, इस अंतहीन बहस में खिलाड़ियों का पक्ष लेते हुए ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज से राजनेता बने विजेंदर सिंह ने कहा कि खिलाड़ियों को अपनी पसंद का सहयोगी स्टाफ मांगने का पूरा अधिकार है। कई भारतीय खिलाड़ियों ने शुक्रवार से शुरू हुए पेरिस ओलंपिक में अपने निजी कोच को ले जाने का विकल्प चुना है जबकि दल में विभिन्न खेलों के राष्ट्रीय कोच मौजूद हैं जिससे इस बात पर बहस छिड़ गई है कि क्या ऐसी व्यवस्था की आवश्यकता है।

केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य विजेंदर ने  एक विशेष बातचीत में कहा, ‘‘निश्चित रूप से, यह आवश्यक है। जब मैं (एमेच्योर सर्किट में) मुक्केबाजी करता था तो हमें इस मामले में पूरी आजादी दी जाती थी। इसलिए हमें मनचाहे कोच और अभ्यास के लिए साथी मिल गए। हरियाणा के इस 38 वर्षीय मुक्केबाज ने पेशेवर बनने से पहले 2006 से 2014 के बीच कई पदक जीते जिसमें 2008 बीजिंग ओलंपिक और 2009 विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक भी शामिल है। उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में दो रजत और एक कांस्य, एशियाई खेलों में एक स्वर्ण और एक कांस्य तथा एशियाई चैंपियनशिप में एक रजत और एक कांस्य पदक भी जीता है। 

विजेंदर ने कहा, उन्होंने (अधिकारियों ने) कहा ‘हम आपको वह देंगे जो आप चाहते हैं लेकिन हमें प्रदर्शन की आवश्यकता है। और हमने दिया। 2006 से 2012 के बीच मैंने लगभग हर जगह प्रदर्शन किया और जीता। इसलिए मुझे लगता है कि ट्रेनिंग शिविर में खिलाड़ियों की मांगों को पूरा किया जाना चाहिए। पेरिस में भारत के ओलंपिक दल में 140 सहयोगी स्टाफ है जिसमें से 72 का खर्चा पूरी तरह से भारत सरकार उठा रही है। इसमें ज्यादातर वे निजी कोच शामिल हैं जिनकी खिलाड़ियों ने मांग की है। विजेंदर ने सोशल मीडिया के बारे में बात की जिसने पिछले दशक में खेल परिदृश्य को बदल दिया है। 

उन्होंने कहा, "मेरे समय से सुविधाओं में सुधार हुआ है। इन दिनों हमारे पास अपने फोन पर इंटरनेट की शक्ति है इसलिए चीजें बहुत आसानी से वायरल हो जाती हैं। लोग या खिलाड़ी सोशल मीडिया पर अपना दर्द साझा कर सकते हैं और उम्मीद करते हैं कि अगर वे सही लोगों को टैग करते हैं तो उनकी बात सुनी जाएगी। इस मुक्केबाज ने कहा, हमारे पास वह शक्ति नहीं थी..तब सोशल मीडिया नहीं था। सोशल मीडिया आज आम आदमी के हाथों में एक बहुत बड़ी शक्ति है। आप इंस्टाग्राम, फेसबुक पर अपनी समस्याओं के बारे में लिख सकते हैं और जो लोग अच्छे हैं वे आपकी मदद करते हैं।

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