प्रतापगढ़: अशासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की मांगों को लेकर फुपुक्टा आंदोलित

पीबीपीजी कालेज सिटी में बैठक कर बनाई रूपरेखा

प्रतापगढ़: अशासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की मांगों को लेकर फुपुक्टा आंदोलित

प्रतापगढ़, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक महासंघ ((फुपुक्टा) कार्यकारिणी अशासकीय महाविद्यालय में कार्यरत शिक्षक के मांगों को लेकर आंदोलित है। इसके तहत पीबीपीजी कालेज सिटी में रविवार को फुपुक्टा के महामंत्री डा.प्रदीप कुमार सिंह की अध्यक्षता में शिक्षकों की बैठक हुई। डॉ. प्रदीप ने शिक्षकों को अवगत कराया कि 15 जुलाई को उदय प्रताप स्वायत्तशासी महाविद्यालय वाराणसी में फुपुक्टा कार्यकारिणी की बैठक अध्यक्ष डा.वीरेन्द्र सिंह चौहान की अध्यक्षता में होगी, जिसमे प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों के शिक्षक संघों के अध्यक्ष, महामंत्री, फुपुक्टा प्रतिनिधि के अलांवा विशेष आमंत्रित शिक्षक प्रतिभाग करेंगे। इस बैठक में उच्च शिक्षा के शिक्षकों की समस्याओं के प्रति सरकार की उदासीनता के खिलाफ संघर्ष की रूपरेखा तय की जायेगी।

डॉ. अखिलेश मोदनवाल संयुक्त मंत्री प्रसुआक्टा प्रयागराज ने कहा कि प्रदेश के अशासकीय महाविद्यालय में कार्यरत शिक्षक समस्याओं पर शासन ने चुप्पी बना रखी है। अनुदानित महाविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. शिव प्रताप सिंह ने कहा कि भाजपा शासित अन्य प्रदेशों में मिलने वाली सुविधा, यूजीसी रेगुलेशन 2018 के तहत पांच पीएचडी इंक्रीमेंट यहां के डिग्री कालेजों में कार्यरत शिक्षकों को भी दिया जाए।

छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है और वहां पर शिक्षकों को पांच पीएचडी इंक्रीमेंट दिया जा रहा है। जिला उपाध्यक्ष अखिलेश सरोज ने कहा कि प्रदेश के अन्य राज्य कर्मियों की तरह सभी शिक्षकों को भी कैशलेस चिकित्सा व्यवस्था दी जाए। विज्ञापन संख्या 47 में चयनित शिक्षकों के पदों का स्थायीकरण व सततीकरण के मुद्दे पर अभी तक शासन के द्वारा कोई भी कार्य नहीं किया गया है, इस कारण कई महाविद्यालयों में शिक्षकों का प्रमोशन बेवजह बाधित किया जा रहा है।

जबकि उच्च शिक्षा उपनिदेशक कहते हैं कि उक्त पदों पर कार्यरत शिक्षकों का प्रमोशन स्थायीकरण के कारण नहीं प्रभावित होगा। असिस्टेंट प्रोफेसर प्रणव ओझा ने कहा कि शिक्षकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों की बायोमैट्रिक अटेंडेंस शिक्षा व्यवस्था को प्रभावित करेगी। जबकि सेल्फ फाइनेंस कालेजों को ऐसी कोई भी गाइड लाइन नहीं दी गई है। अशासकीय महाविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों के ट्रांसफर को लेकर व्याप्त भ्रष्टाचार बार-बार सामने आता रहता है।

इसलिए इस व्यवस्था में मैनेजमेंट द्वारा एनओसी का प्रावधान खत्म होना चाहिए। असिस्टेंट प्रोफेसर डा. देवेश सिंह ने कहा कि अशासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के मौलिक अधिकार व मांग के संबंध में फुपुक्टा के निर्देशन में बैठक की जानी है। जिसमें आगे की रणनीति पर विमर्श होना है। संचालन असिस्टेंट प्रोफेसर राकेश सिंह ने किया। इस दौरान प्रो. बृजभानु सिंह,प्रो. उपेंद्र कुमार सिंह,प्रो.ब्रम्हानंद प्रताप सिंह,प्रो. रामराज,डा.केके सिंह,डा.चेत प्रकाश पांडेय,डा.नीरज त्रिपाठी, डा.जितेंद्र सैनी,डा. अशोक वर्मा आदि रहे।

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