अयोध्या: रावण वध के साथ रामलीला का समापन

अयोध्या: रावण वध के साथ रामलीला का समापन

अयोध्या, अमृत विचार। सरयू के किनारे लक्ष्मण किला के मैदान पर चल रही फिल्मी कलाकारों की रामलीला का रविवार को रावण वध के साथ ही समापन हो गया। मंचन के नौवें दिन कलाकारों की ओर से अहिरावण और नरात्मक के वध के साथ रावण बध की प्रस्तुति का मंचन किया गया। कलाकारों की टीम ने …

अयोध्या, अमृत विचार। सरयू के किनारे लक्ष्मण किला के मैदान पर चल रही फिल्मी कलाकारों की रामलीला का रविवार को रावण वध के साथ ही समापन हो गया। मंचन के नौवें दिन कलाकारों की ओर से अहिरावण और नरात्मक के वध के साथ रावण बध की प्रस्तुति का मंचन किया गया। कलाकारों की टीम ने पार्श्व गायन और पार्श्व संवाद से मंचन को आगे बढ़ाने तथा पूर्णता प्रदान करने में सहयोग किया।

योगी सरकार, संस्कृति मंत्रालय और पर्यटन विभाग के सहयोग से सुप्रीम फैसले के तहत जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों भूमिपूजन के बाद फिल्मी कलाकारों की ओर से रामनगरी में रामलीला का मंचन किया गया। 500 वर्ष पुराने विवाद में फैसला आने के बाद बदले हुए घटनाक्रम में दिल्ली के द्वारका में कई वर्षों से बॉलीवुड कलाकारों की रामलीला आयोजित करने वाली संस्था मां फाउंडेशन रामलीला समित राम नगरी अयोध्या में रामलीला का मंचन करवा रही है। मंचन के लिए तमाम बॉलीवुड और भोजपुरी सिनेमा के कलाकारों को चुना गया है।

फिल्मी कलाकारों की यह रामलीला रोजाना शाम 7:00 बजे से शुरू होकर 10:00 बजे तक चलती थी, लेकिन विजयदशमी पर्व के चलते आयोजकों की ओर से कार्यक्रम में तब्दीली की गई और अंतिम दिन के मंचन की शुरुआत गणेश वंदना के साथ दूसरी पहर 3:30 हुई। फिल्मी कलाकारों की ओर से रामलीला मंचन के तहत पहले अहिरावण वध का मंचन किया गया। शुरुआत रावण के दरबार के दृश्य से हुई। बेटे मेघनाथ की मौत की खबर से व्यथित लंकाधिपति रावण आपने वीर, मायावी और प्रतापी भाई अहिरावण को बुलाता है। राम और लक्ष्मण को सबक सिखाने का आदेश देता है।

मायावी शक्तियों का धनी अहिरावण रामा दल पहुंचता है और विभीषण का रूप धारण कर पवन पुत्र हनुमान को मूर्च्छित कर देता है तथा राम और लक्ष्मण का अपहरण कर ले जाता है। अपने नगर में वह राम और लक्ष्मण की बलि की तैयारी कर ही रहा होता है कि हनुमान जी राम और लक्ष्मण को बचाने के लिए पहुंच जाते हैं। नगर के द्वार पर ही उनकी मुलाकात अपने पुत्र मकरध्वज से होती है। पिता पुत्र में संवाद होता है और नीति की बातें होती हैं। पवन पुत्र हनुमान अपने बेटे को बंधक बनाकर अहिरावण के पास पहुंच जाते हैं और अहिरावण का वध कर राम और लक्ष्मण को मुक्त कराते हैं। लौटते समय वहां का राज अपने बेटे मकरध्वज के हवाले करवा देते हैं।

अगले मंचन में मंच का परिदृश्य बदला और एक बार फिर मंच पर रावण का दरबार सजा आया। युद्ध के मैदान की खबर से चिंतित रावण ने पाताल लोक के स्वामी और अतुलित बलशाली अपने पुत्र नरात्मक को बुला लिया और मेघनाथ, अहिरावण तथा अन्य का बदला लेने के लिए नरात्मक को युद्ध के मैदान में रवाना किया। पाताल लोक के स्वामी नरात्मक ने युद्ध मैदान में पहुंचने के बाद हलचल मचा दी। रामा दल के बड़े बड़े योद्धा पस्त होने लगे, जिसको लेकर रामा दल में खलबली मच गई।

हालांकि इसी बीच नारद प्रकट होते हैं और श्री राम के दल को नरात्मक पर विजय का सूत्र बताते हैं। नारद के सुझाव के अनुपालन के लिए सुग्रीव तत्काल अपने पुत्र दधिबल को बुला लेते हैं और युद्ध के लिए मैदान में भेजते हैं। सुग्रीव पुत्र दधिबल युद्ध के दौरान नरात्मक का बध कर देते हैं। यह खबर लंकापति रावण को मिलती है तो वह स्वयं युद्ध के लिए तैयार होता है। एक बार फिर से मंच पर युद्ध भूमि का मैदान सजा नजर आता है। पहले रावण से छोटे भाई लक्ष्मण दो-दो हाथ करते हैं और इसके बाद फिर पवन पुत्र हनुमान।

फिर रामा दल की ओर से श्रीराम को युद्ध के लिए कहा जाता है। राम और रावण के बीच घनघोर युद्ध होता। इसी बीच विभीषण राम को बताते हैं कि रावण की नाभि में अमृत है अतः बाण का प्रहार नाभि पर करें। राम विभीषण के सुझाए गए बचन का पालन करते हैं और एक ही बार में रावण को धराशाई कर देते हैं। मंच का दृश्य तो वैसा ही है लेकिन कथानक में बड़ा बदलाव है। श्रीराम अपने भ्राता लक्ष्मण को आदेश देते हैं कि हे लक्ष्मण, अगर नीति की शिक्षा लेनी है तो वह रावण से ले लो। लक्ष्मण रावण से नीति की शिक्षा देने का अनुरोध करते हैं। अनुरोध मान रावण उनको सीख देते हैं।

रावन के पुतले का भी किया गया दहन
रामलीला मंचन के अंतिम दिन प्रतीक रूप में रावण के पुतले का दहन किया गया। दहन के लिए 55 फुट ऊंचा पुतला दिल्ली के कारीगरों ने बनाया था। पर्यावरण को कम नुकसान के लिए इसमें ग्रीन पटाखे लगाए गए थे। पुतला दहन कार्यक्रम में प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और उनकी पत्नी पद्मश्री लोक गायिका मालिनी अवस्थी को शिरकत करनी थी, लेकिन दोनों कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। मां फाउंडेशन रामलीला समित के अध्यक्ष सुभाष मालिक ने समारोह की अध्यक्षता की। राम की भूमिका निभा रहे कलाकार सोनू नागर ने बाण चलाया और रावण के चिथड़े उड़ने लगे।