Exclusive: घरेलू उत्पाद और नगरीय निकाय भी बनेंगे मददगार; प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पहुंचाएंगे एक ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य के पार

Exclusive: घरेलू उत्पाद और नगरीय निकाय भी बनेंगे मददगार; प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पहुंचाएंगे एक ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य के पार

कानपुर, (अभिषेक वर्मा)। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए योगी सरकार ने सभी स्तरों पर समग्र प्रयास सुनिश्चित करने का फैसला लिया है। इस मुहिम में जिलावार घरेलू उत्पादों के साथ नगरीय निकाय को भी जोड़ा गया है।

इसके लिए ऐसे घरेलू उत्पादों का चुनाव किया जाएगा, जिनकी देशी-विदेशी बाजार में मांग हो, ताकि उनका उत्पादन बढ़ाकर कारोबार और निर्यात बढ़ाया जा सके। इसी तरह निकायों के इन्फ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं में पीपीपी मॉडल के जरिए निवेश करके उन्हें और बेहतर बनाने का प्रस्ताव है, इससे निकाय अपनी आय बढ़ाकर आत्मनिर्भर हो सकेंगे।

प्रदेश सरकार एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य पाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इसी क्रम में जिलों के घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देने की योजना तैयार की गई है। तय हुआ है कि ऐसे उत्पाद जिनका शहर में उत्पादन अच्छा है, उनमें निवेश करके प्रदेश सरकार बेहतर कारोबारी माहौल बनाएगी। इससे ये उत्पाद अंतर्राष्ट्रीय फलक पर पहचान बनाकर न सिर्फ आय बढ़ाने में समर्थ होंगे, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था में तेज योगदान सुनिश्चित करेंगे।

इस काम को अंजाम देने के लिए जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। यह कमटी प्रदेश शासन के अर्थ एवं संख्या प्रभाग द्वारा कानपुर नगर के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में अनिगमित क्षेत्र के उद्यमों का वार्षिक सर्वेक्षण एवं आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण कार्य का पर्यवेक्षण करेगी। यह सर्वेक्षण इसी माह जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी के निर्देशन में कराया जाएगा। कमेटी इस सर्वे के दौरान पायलट सर्वे करके उपयोगी घरेलू उत्पादों का चुनाव उनकी आर्थिक गतिविधियों का आकलन करेगी।

शहर में चमड़े से बनी वस्तुएं, मशीनरी, कृषि उत्पाद, मेडिकल टूल्स और गारमेंट्स में निर्यात बढ़ाने की संभावनाएं हैं। शासन के निर्देश पर जिलाधिकारी ने कमेटी में कानपुर नगर आयुक्त, उप जिला मजिस्ट्रेट, जिला पंचायतराज अधिकारी, सभी खंड विकास अधिकारी और नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारियों को शामिल किया है।

फूड हब, अर्बन कैफे, डिजिटल स्ट्रीट, आर्ट गैलरी और आडिटोरियम में होगा निवेश

अर्थव्यवस्था को तेज गति प्रदान करने के लिए नगरीय निकायों के इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश का फैसला हुआ है। इसके लिए निकायों में चरणबद्ध तरीके से 38 परियोजनाओं का चयन किया जाएगा। जिन इन्फ्रास्ट्रक्चर्स में निवेश होना है, उनमें कार्यालय भवन, अर्बन कियोस्क, मशीनीकृत और अन्य प्रकार की पार्किंग और रोड जंक्शन आदि शामिल हैं। 

इसके साथ ही अर्बन मेला, फूड स्ट्रीट हब और डिजिटल स्ट्रीट जैसे लवलीहुड सेंटर शामिल होंगे। मनोरंजक सुविधाएं, हेरिटेज स्ट्रीट, म्यूजियम, प्रदर्शनी, आर्ट गैलरी, अर्बन आर्ट डेकोर और स्टेच्यू आदि को भी निवेश की योजना में शामिल किया गया है। इसी तरह अर्बन कम्युनिटी सेंटर, आडिटोरियम, मैरिज हाल, रिटायरमेंट होम्स, सीनियर केयर सेंटर, कामकाजी महिलाओं व पुरुषों के छात्रावास जैसी सुविधाओं पर भी निवेश किया जाना प्रस्तावित है। 

टैक्स कलेक्शन के अनुसार आवंटित होगी धनराशि

इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश के लिए धनराशि का आवंटन नगरीय निकायों द्वारा किए गए टैक्स कलेक्शन और इसके अपने हिस्से के अनुपात में होगा। इन्फ्रास्ट्रक्चर का चयन नगरीय निकायों के आकार को देखकर होगा। ऐसे प्रोजेक्ट को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनमें पीपीपी की संभावना हो। इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए शहरी स्थानीय निकाय द्वारा भूमि उपलब्ध कराई जाएगी। राज्य या केंद्र की योजनाओं के बजट से भी धनराशि दी जाएगी।

दो फार्मूलों से मिलेगा पैसा

इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश के लिए शासन ने धनराशि आवंटन के दो फार्मूले बनाए हैं। इनमें पहला 40 प्रतिशत नगर निगम, 40 प्रतिशत नगर पालिका परिषद और 20 प्रतिशत नगर पंचायतों को देने का प्रावधान प्रस्तावित है। दूसरे प्रस्ताव के अनुसार 50 प्रतिशत नगर निगम, 25 प्रतिशत नगर पालिका परिषद और 25 प्रतिशत नगर पंचायत को मिल सकता है।

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