बरेली: भूगर्भ जलस्तर...सिविल लाइंस की स्थिति इस बार भी सबसे चिंताजनक

प्री मानसून सर्वे : रायफल क्लब, कमिश्नर कार्यालय, जिला परिषद का जलस्तर और नीचे खिसका, स्पोर्ट्स स्टेडियम में भी हालत चिंताजनक

बरेली: भूगर्भ जलस्तर...सिविल लाइंस की स्थिति इस बार भी सबसे चिंताजनक

बरेली, अमृत विचार। वैसे तो इसे कुछ राहत की बात माना जा सकता है कि प्री मानसून सर्वे में शहर के ज्यादातर इलाकों में भूगर्भ जलस्तर की स्थिति इस बार लगभग स्थिर पाई गई है लेकिन कोई सुधार न होना इस ओर भी इशारा कर रहा है कि भूगर्भ जलस्तर को सामान्य स्तर तक लाने के लिए कोई ठोस कोशिश नहीं की गई। पोस्ट मानसून सर्वे की तुलना में लगभग सभी इलाकों का जलस्तर एक मीटर तक नीचे खिसका है। कमिश्नर कार्यालय, रायफल क्लब, जिला परिषद और स्पोर्ट्स स्टेडियम जैसे प्रमुख इलाकों में भी इस बार भी भूगर्भ जलस्तर चिंताजनक स्थिति में पाया गया है।

शहर में जहां दूसरे इलाकों की तुलना में जलस्तर काफी ज्यादा नीचे है, वह सिविल लाइंस है। इस साल के प्री मानसून सर्वे के मुताबिक यहां रायफल क्लब का जलस्तर 11.11 मीटर नीचे पाया गया है जो 2023 में बारिश से पहले 10.33 और बारिश के बाद 10.09 मीटर नीचे था। इसी तरह कमिश्नर कार्यालय का जलस्तर 12.58 मीटर पाया गया है जो पिछले साल बारिश से पहले 12.62 और बारिश के बाद 12.07 मीटर था। जिला परिषद का जलस्तर सर्वाधिक 13.55 मीटर नीचे पाया गया जो पिछले साल बारिश से पहले 12.93 और बाद में 12.26 मीटर रिकॉर्ड किया गया था। स्पोर्ट्स स्टेडियम में जलस्तर 13 मीटर है, जो बारिश से पहले पिछले साल भी लगभग इतना ही था।

सिविल लाइंस जैसी खराब स्थिति शहर के दूसरे इलाकों में नहीं है। भरतौल, पीसी आजाद स्कूल, हरुनगला, परतापुर चौधरी जैसे इलाकों में भूगर्भ जल का स्तर आठ से नौ मीटर के बीच रिकॉर्ड किया गया है। पिछले साल की तुलना में इन इलाकों में आंशिक गिरावट ही आई है। राजेंद्रनगर में 10.40 मीटर का जलस्तर भी लगभग स्थिर रहा है। सुभाषनगर और युगवीणा लाइब्रेरी का स्तर छह से सात मीटर के बीच है और कुछ सुधरा भी है। दिल्ली रोड पर आईटीआई कैंपस, कर्मचारी बीमा निगम हॉस्पिटल, जीटीआई कैंपस और ट्यूलिया का जलस्तर चार से पांच मीटर तक पाया गया है। इन इलाकों में भी कोई खास बदलाव नहीं हुआ है।

इज्जतनगर इलाके में आईवीआरआई का जलस्तर करीब डेढ़ मीटर सुधार के साथ 5.40 मीटर रिकॉर्ड किया गया है। बदायूं रोड पर रामगंगा के पास के इलाकों में शामिल कांधरपुर, बुखारा और झील गौंटिया का जलस्तर तीन से चार मीटर के बीच रिकॉर्ड किया गया है जो सबसे बेहतर है।

ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी इलाकों में पानी का दोहन ज्यादा होता है, इसीलिए भूगर्भ जल के स्तर में गिरावट हो रही है। हालांकि पानी का अनावश्यक दोहन रोकने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जुलाई में भूगर्भ जल सप्ताह के दौरान भी जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। - गणेश नेगी, भूगर्भ जल विभाग के वरिष्ठ हाइड्रोलॉजिस्ट

शहरी आबादी कर रही है ज्यादा पानी बर्बाद
पर्यावरणविद् डॉ. आलोक खरे कहते हैं कि शहर में लगातार आबादी बढ़ने के साथ जल का उपभोग और बर्बादी भी भी बढ़ रही है। इसी कारण भूगर्भ जल का स्तर गिर रहा है। तर्क दिया जाता है कि देहात में खेतों की सिंचाई के लिए पानी का दोहन ज्यादा होता है, लेकिन उसमें से कुछ पानी को फसलें अवशोषित करती हैं। शेष पानी उस इलाके काे रिचार्ज करता है। शहर में सरकारी विभाग वाटर हार्वेस्टिंग पर जोर देते हैं लेकिन आम लोग जरा भी जागरूक नहीं हैं। शहर में कितना पानी बर्बाद होता है, इसकी कोई निगरानी भी नहीं होती। पंजाब, कर्नाटक जैसे राज्यों में पानी की खपत की निगरानी की जाती है। यूपी में भी ऐसा हो तो भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाया जा सकता है।

मानक प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी रोज का, औसत पांच सौ लीटर का
भूगर्भ जल विभाग के अधिकारियों के अनुसार उत्तर प्रदेश में एक व्यक्ति के लिए औसतन 135 लीटर पानी इस्तेमाल करने का मानक तय है लेकिन मॉनिटरिंग न होने से पानी का इस्तेमाल प्रति व्यक्ति करीब पांच सौ लीटर रोज तक पहुंच जाता है। इससे भूगर्भ जल स्तर बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

50 लाख की आबादी लेकिन हार्वेस्टिंग सिस्टम कहीं नहीं
भूगर्भ जल विभाग के अधिकारियों के अनुसार बरेली की आबादी करीब 50 लाख है। जागरूकता के तमाम अभियान चलाए जाने के बाद इतनी बड़ी आबादी में दो-चार घरों में ही वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया है। किसी भी आवासीय निर्माण के दौरान वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य भी किया जा चुका है, लेकिन निगरानी न होने से लोग इसकी परवाह नहीं करते।

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