Bareilly News: सांसद ने इफको प्रबंधन के सामने रखीं किसानों की मांगें, जमीन का मुआवजा और दूषित पानी की बताई समस्या
बरेली, अमृत विचार। इफको प्लांट में शुक्रवार को नवनिर्वाचित सांसद नीरज मौर्य पहुंचे और प्रबंधन के सामने धरने पर बैठे किसानों की मांगें रखीं। उन्होंने कहा कि किसान अधिग्रहण की गई जमीन का मुआवजा और दूषित पानी के निस्तारण की मांग कर रहे हैं। हालांकि प्लांट प्रबंधन ने किसानों के आरोपों को निराधार बताया। सांसद ने बताया कि शनिवार को किसानों के मुद्दे पर फैक्ट्री प्रबंधन साथ बैठक होगी।
आंवला में 1988 में इफको का प्लांट लगा था। इसके लिए करीब 2,223 किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी। भारतीय किसान यूनियन-टिकैत गुट के बैनर तले ग्रामीण प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि भूमि अधिग्रहण के बाद उनके परिवारों को प्लांट में नौकरी नहीं मिली। किसान यूनियन के मुताबिक ऐसे 288 किसान हैं। वर्ष 2021-22 में नौकरी की मांग को लेकर आंवला में लंबा प्रदर्शन चला था।
भाकियू के मुताबिक तब प्रबंधन और प्रशासन ने किसानों को नौकरी का भरोसा देकर विरोध शांत करा दिया था, लेकिन आज तक नौकरी के वादे पर अमल नहीं हुआ। इससे नाराज ग्रामीण एक बार फिर आंवला में प्रदर्शन कर रहे हैं। महाराज सिंह तहसील अध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन टिकैत ने कहा कि हमसे न तो सांसद ने मुलाकात की और न ही किसानों से बात की।
किसानों से बातचीत...
केस-1
नौगवां के प्रधान महेंद्र सिंह यादव का कहना है कि पांच-छह साल पहले फैक्ट्री से दूषित पानी खेतों में बहता था। अब केमिकलयुक्त पानी अरिल नदी में जाता है। अरिल नदी रामगंगा में मिलती है। दूषित पानी से हजारों बीघा जमीन आज भी उपजाऊ नहीं बन सकी है। गर्मी के वजह से खेत-खलियानों में भरा दूषित पानी काफी हद तक अब सूख चुका है।
केस-2
भमोरा के रहने वाले व्यक्ति इफको में काम करते हैं। उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि अधिग्रहण के समय उनकी 10 बीघा जमीन प्लांट में चली गई थी। उस जमीन में तीन भाइयों का हिस्सा था, लेकिन प्लांट प्रशासन ने परिवार से नौकरी सिर्फ एक ही व्यक्ति को दी है। दोनों भाई नौकरी की मांग कर रहे हैं।
केस-3
नौगवां निवासी अहरान का कहना है कि फैक्ट्री में अकूत पानी के उपयोग के कारण क्षेत्र का जल स्तर लगातार गिर रहा है। दूषित पानी की वजह से प्लांट के आसपास लगे पेड़-पौधे सूख गए हैं। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में बड़ा जल संकट पैदा होगा। प्लांट के प्रबंधन को भी इस पर विचार करने की आवश्यकता है।
केस-4
मलगांव निवासी भानु प्रताप सिंह ने बताया है कि फैक्ट्री के अधिकारियों के सारे दावे झूठे हैं। प्लांट में दूषित पानी को खेतों में बहाने के अलावा उनके पास कोई इंतजाम नही हैं। केमिकलयुक्त पानी से खाज-खुजली जैसी बीमारियां फैल रही है। मच्छरों की भयंकर समस्या है। खेती ही नहीं स्वास्थ्य को लेकर भी लोग परेशान हैं।
किसानों के खेतों में जो पानी आता है। इफको प्रबंधन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वो खेतों में न जाए। दूषित जल से जमीन ऊसर हो रही है। दूषित पानी पीकर पशु बीमार हो रहे हैं। जिन परिवारों ने प्लांट के लिए भूमि दी थी, उनके परिवारों को रोजगार मिलना चाहिए।-आदेश सिंह यादव, पूर्व ब्लॉक प्रमुख, आलमपुर जाफराबाद
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