प्रयागराज : कोर्ट के समक्ष अधिवक्ता के माध्यम से अभियुक्त की उपस्थिति 'हिरासत' के रूप में मान्य

अमृत विचार, प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत से जुड़े एक मामले में अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा कि अगर एक अभियुक्त जमानत के लिए अपने अधिवक्ता के माध्यम से ट्रायल कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत होता है तो उसे अदालत की हिरासत में ही माना जाएगा।
सीआरपीसी की धारा 439 के तहत दर्ज मामलों में जमानत के लिए दाखिल आवेदन को इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता है कि अभियुक्त ने खुद को अदालत की हिरासत में प्रस्तुत नहीं किया या उसे जांच अधिकारी द्वारा आरोप-पत्र प्रस्तुत करते समय गिरफ्तार नहीं किया गया है। कोर्ट ने जमानत आवेदन की आवश्यकता को स्पष्ट करते हुए कहा कि कोर्ट के समक्ष अधिवक्ता के माध्यम से अभियुक्त की उपस्थिति हमेशा हिरासत ही मानी जाती है।
यह आवश्यक नहीं है कि उसे शारीरिक तौर पर हिरासत में रखा जाए। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की एकलपीठ ने वीर सिंह और तीन अन्य की द्वितीय अग्रिम जमानत को स्वीकार करते हुए की। मालूम हो कि अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत थाना कोतवाली कालपी, जालौन, उरई में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
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