इस दिन मनाई जाएगी अक्षय तृतीया: रोहिणी और बुध का महासंयोग, सोना-चांदी खरीदने के लिए ये है शुभ मुहूर्त
कानपुर, अमृत विचार। त्रेतायुग का प्रारंभ भी अक्षय तृतीया को ही हुआ था, इसलिए इसे युगादि तिथि कहते हैं। इस दिन ग्रहों की शुभ स्थिति के कारण हर प्रकार का शुभ कार्य, जैसे गृह प्रवेश, व्यापार प्रारंभ, वाहन या संपत्ति खरीदारी दीर्घकालिक लाभ देती है।
भारतीय पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है 'अक्षय' यानी जो कभी समाप्त न हो इस दिन किया गया दान, हवन, पूजन व खरीदारी अक्षय पुण्य और स्थायी समृद्धि देती है।
संस्थापक अध्यक्ष ज्योतिष सेवा संस्थान के आचार्य पवन तिवारी ने बताया कि इसे स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना गया है, जिसमें बिना किसी पंचांग देखे हर शुभ कार्य प्रारंभ किया जा सकता है इस वर्ष अक्षय तृतीया 29 अप्रैल को शाम 5:32 बजे से प्रारंभ होकर 30 अप्रैल को दोपहर 2:15 बजे तक रहेगी उदयातिथि मानकर 30 अप्रैल को इसका पर्व मनाया जाएगा।
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विशेषता : 17 साल बाद बन रहा शुभ संयोग इस बार अक्षय तृतीया पर बुधवार और रोहिणी नक्षत्र का विशेष संयोग बन रहा है, जो 17 साल बाद आया है अगली बार यह संयोग 27 साल बाद, वर्ष 2052 में बनेगा। इस दिन पारिजात, गजकेसरी, केदार, काहल, हर्ष, उभयचरी और वाशी नामक सात राजयोग, सर्वार्थसिद्धि योग, शोभन योग और रवियोग जैसे 10 महायोग भी बनेंगे इससे व्यापार, निवेश और नई शुरुआत अत्यंत शुभ फलदायी होगी।
अक्षय तृतीया के दिन सोना-चांदी खरीदने की परंपरा है इसे धन-धान्य और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है सोने को लक्ष्मी और चांदी को चंद्रमा का प्रतीक मानते हैं। स्कन्द पुराण और पद्म पुराण में वर्णित है कि इस दिन कुबेर को देवताओं का खजांची नियुक्त किया गया था। त्रेतायुग का प्रारंभ भी अक्षय तृतीया को ही हुआ था, इसलिए इसे युगादि तिथि भी कहते हैं इस दिन ग्रहों की शुभ स्थिति के कारण हर प्रकार का शुभ कार्य, जैसे गृह प्रवेश, व्यापार प्रारंभ, वाहन या संपत्ति खरीदारी दीर्घकालिक लाभ देती है स्कन्द पुराण के अनुसार, इस दिन किया गया निवेश या दान जीवनभर अक्षय फल प्रदान करता है।
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