हल्द्वानी: कोक स्टूडियो में पहली बार 8 मई को छाएंगे उत्तराखंडी... ओखलकांडा और बागेश्वर के सुरों से निकली 'सोनचड़ी'

हल्द्वानी: कोक स्टूडियो में पहली बार 8 मई को छाएंगे उत्तराखंडी... ओखलकांडा और बागेश्वर के सुरों से निकली 'सोनचड़ी'

भूपेश कन्नौजिया, अमृत विचार। ऐसा पहली बार होगा जब कोक स्टूडियो में उत्तराखंड के लोकगीत को जगह मिलेगी और यही नहीं जब स्टूडियो का सेट भी किसी उत्तराखंडी ने तैयार किया हो...जी हां आगामी 8 मई को पूरे प्रदेश के लिए एक गर्व की बात होगी जब पहाड़ के दुर्गम इलाकों से निकला टेलैंट अपने सुरों का जलवा किसी बड़े बैनर तले बिखेरेगा। 

कोक स्टूडियो भारत सीजन 2 में मूल रुप से ओखलकांडा के नरतोला के निवासी दिग्विजय पड़ियार का कम्पोज किया और गाया गाना 'सोनचड़ी' धूम मचाने आ रहा है, जिसे मुनस्यारी निवासी संगीतकार लवराज ने लिखा और बागेश्वर जिले की गरुड़ तहसील स्थित लखनी गांव की रहने वालीं कमला देवी जो की एक लोक गायिका और जागर गायिका हैं ने अपनी आवाज से जीवंत कर दिया। वहीं इसमें फ्यूजन का तड़का लगाते नजर आएंगी मशहूर गायिका नेहा कक्कड़। इस गाने को दिग्विजय,नेहा और कमला पर फिल्माया गया है और इन्हीं तीनों के सुरों ने कुमाऊं की प्रसिद्ध राजूला-मालूशाही की अमर प्रेम कहानी और पारंपरिक लोकगीत गोपुली बौराणा पर आधारित मार्डन लव स्टोरी का छौंका लगाया है जो रिलीज होने से पहले ही प्रोमो में छाया हुआ है।

वहीं आपको बता दें कि इस गाने के लिए जो सेट तैयार किया गया है वह पिथौरागढ़ निवासी शमशाद पिथौरागढ़ी ने तैयार किया है जो काफी समय से लखनऊ में रहकर ऐंपण कला के संरक्षण और संवर्धन का कार्य कर रहे हैं।

फोन पर हुई बातचीत पर दिग्विजय और उनकी मां चंद्रा पड़ियार ने बताया कि यह एक ऐतिहासिक पल है, अभी तक ऐसे मंच में उत्तराखंड के किसी लोकगायक को जगह नहीं मिल पाई थी। ऐसे मौकों से हौसला तो बढ़ता ही है साथ ही जो लोग संस्कृति और लोक कलाओं का संरक्षण-संवर्धन तो करते हैं लेकिन गुमनामी में कहीं खो जाते हैं उन्हें आगे बढ़ने की हिम्मत और कुछ नया करने की ऊर्जा मिलती है।

कौन हैं कमला देवी 
बागेश्वर जिले की गरुड़ तहसील स्थित लखनी गांव की रहने वालीं करीब 52 वर्षीय कमला देवी जागर गायिका हैं। इनका बचपन खेतीबाड़ी और मवेशियों के साथ ही बिता और 15 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई उन्हें बचपन से ही न्यौली, छपेली, राजुला-मालूशाही, हुड़कीबोल आदि गीतों को गाने का शौक था और जंगल जाते वक्त वह गुनगुनाती और अपनी सहेलियों को भी सुनाती थीं। कमला बताती हैं कि उनका मायका गरुड़ के लखनी गांव रवाईखाल के बिजोरीझाल में हैं।

उनके पिता बिर राम जागर और हुड़किया बोल गायक थे। लोक गायन की यह विधा उन्हें विरासत में मिली। छोटी उम्र में ही उन्होंने जागर और हुड़किया बोल गायन सीख लिया। 15 साल की उम्र में शादी होने के बावजूद लोक संगीत के प्रति उनका प्रेम कम नहीं हुआ। उनके पति गोपाल राम का रुझान भी संगीत की तरफ था। वह अच्छे बांसुरी वादक हैं। पति का साथ और सहयोग मिलने के बाद उनकी कला में निखार आने लगा।

इस शौक ने इन्हें वर्ष 2005 में नैनीताल में आयोजित शरदोत्सव में गाने का मौका दिया जिसका श्रेय वे भिकियासैंण, रानीखेत के शिरोमणि पंत को देती हैं जिन्हें वह अपना बड़ा भाई भी मानती हैं। इसके बाद उनकी आवाज को दूसरा मौका लखनऊ के गोमती नगर में आयोजित एक कार्यक्रम में मिला और फिर यह सिलसिला चल निकला। कमला के मुताबकि वे एक हजार से अधिक मंचीय प्रस्तुति दे चुकी हैं।

ओखलकांडा के दिग्विजय का मुंबई तक का सफर
दिग्विजय पड़ियार उर्फ दिग-वी बताते हैं कि मूल रूप से वह ओखलकांडा के भीड़ापानी ग्रामसभा के तोक नरतोला के रहने वाले हैं। पिता किशन सिंह दिल्ली में नौकरी करते थे, लिहाजा बचपन से ही उनका परिवार गांव से दिल्ली चला गया। प्रारंभिक शिक्षा गाजियाबाद और फिर वर्ष 2014 में किरोड़ीमल कॉलेज से स्नातक करने के बाद मुंबई पहुंचे और अपने शौक और मेहनत के बूते वर्ष 2016 में शंकर महादेवन की फिल्म राक आन टू से फिल्मों में गाने का मौका मिला और उसके बाद से अभी तक फिर भी दिल है हिंदुस्तानी, कट्टी बट्टी, लाक आन टू, वेडिंग पुलाव समेत कई फिल्मों में न केवल गीतों को आवाज दी बल्कि फिल्मों के लिए कई गीत लिख और कंपोज भी कर चुके हैं।

छोटा भाई अंकित भी उभरता हुआ गीतकार और कंपोजर है जबकि मां चंद्रा पडियार भी लोक गायिका हैं। बचपन से ही घर में मां से पहाड़ के लोक गीत सुनने को मिले और वहीं से उन्हें गायन की प्रेरणा मिली और बताया कि घर में गोपाल बाबू गोस्वामी के गीत खूब बजते थे जिसने दिल में भी घर लिया और गाने लिखने-गाने का शौक ने मंजिल तक पहुंचा दिया।

कोक स्टूडियो क्यों है युवाओं को पसंद
कोक स्टूडियो इंडिया, जिसे आधिकारिक तौर पर कोक स्टूडियो @ एमटीवी शीर्षक से जाना जाता है, एक भारतीय टेलीविजन कार्यक्रम है, जिसमें विभिन्न कलाकारों द्वारा स्टूडियो-आधारित लाइव संगीत का प्रदर्शन किया जाता है। कोक स्टूडियो हिंदुस्तानी, कर्नाटक और भारतीय लोकसंगीत से लेकर समकालीन हिप हॉप, रॉक और पॉप संगीत तक असंख्य संगीत शैलियों को जोड़ता है। यह भारत के सबसे लोकप्रिय संगीत कार्यक्रमों में से एक है। यह पाकिस्तानी शो कोक स्टूडियो का भारतीय रूपांतरण है। कोक स्टूडियो की सबसे बड़ी खासियत यही है की यहां संगीत की अलग- अलग विधाओं से जुड़े गायक मंच पे एक साथ गाते हैं और बिना किसी काट-छांट के इसकी फाइनल रिकॉर्डिंग को सीधा प्रसारित किया जाता है।