पीलीभीत: सैकड़ों एकड़ जमीन पर रोप दी प्रतिबंधित साठा धान की फसल, सूख चुकी गोमती नदी के पानी से भी हो रही सिंचाई

पीलीभीत: सैकड़ों एकड़ जमीन पर रोप दी प्रतिबंधित साठा धान की फसल, सूख चुकी गोमती नदी के पानी से भी हो रही सिंचाई

पीलीभीत, अमृत विचार: तराई में भूजल से लेकर खेत की सेहत तक के लिए अभिशाप बने साठा धान पर शासन की ओर से प्रतिबंध लगा हुआ है। यह दीगर बात है कि जिम्मेदार प्रशासन को उस समय साठा धान पर प्रतिबंध लगाने की याद आई, जब जिले में सैकड़ों एकड़ जमीन पर किसानों ने अंधाधुंध प्रतिबंधित फसल की रोपाई कर डाली। इतना ही नहीं, साठा धान की सिंचाई में सूखती जा रही गोमती नदी के पानी का भी जमकर दोहन किया जा रहा है। देर से जागे प्रशासन ने अब जिले में साठा धान की रोपाई पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं।

कृषि क्षेत्र में अग्रणी तराई के इस जिले में बड़े पैमाने पर गेहूं, धान और गन्ने की पैदावार होती है। इसके साथ ही  कुछ किसानों द्वारा फरवरी में धान की नर्सरी डालकर ग्रीष्मकालीन साठा (चाइनीज धान) की खेती की जाती है। विशेषज्ञों के मुताबिक साठा धान की फसल में उर्वरकों, कृषि रक्षा रसायनों की अधिकता तो होती ही है, साथ ही चौथे-पांचवें दिन सिंचाई के लिए पानी की भी जरूरत होती है। 

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो भूमि की उर्वरा शक्ति को संरक्षित रखने के लिए साठा धान की खेती भूमि एवं पर्यावरण दोनों के लिहाज से अनुकूल नहीं है। साठा धान के लगाने से भू-गर्भ जल स्तर के  गिरने एवं पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्परिणामों को दृष्टिगत प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व में साठा धान की खेती को प्रतिबंधित कर दिया है। इधर वर्ष 2019 एवं 2020 में शासन के निर्देशानुसार जिले में साठा धान के उत्पादन पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया गया था।

अफसर चुनाव में व्यस्त रहे, किसानों ने रोप डाली प्रतिबंधित फसल
इधर इस साल जिले में फरवरी में बड़े पैमाने पर साठा धान की नर्सरी डाली गई। शुरुआत में जब प्रशासन ने इस पर कोई तवज्जो नहीं दी तो साठा धान पैदा करने वालों के हौसले बढ़ गए। स्थिति यह रही कि कुछ गैर किसानों ने तो बकायदा ठेके पर जमीन पर नर्सरी तैयार कर साठा धान की पौध की बकायदा बिक्री शुरू कर दी। मार्च की शुरूआत होते ही जिले में किसानों ने बड़े पैमाने पर साठा धान की रोपाई करना शुरू दिया। 

उस दौरान अमृत विचार द्वारा समाचारों के माध्यम से प्रशासन का ध्यान आकृष्ठ कराया गया, लेकिन तब तक लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई। प्रशासन चुनाव की तैयारियों में व्यस्त हो गए, इधर जिले में साठा धान पर कोई प्रतिबंध न लगता देख बड़े पैमाने पर प्रतिबंधित फसल की रोपाई कर दी गई। जिले साठा धान की सर्वाधिक रोपाई पूरनपुर, कलीनगर एवं अमरिया तहसील क्षेत्र के गांवों में की गई है। 

खास बात यह है कि साठा धान पैदा करने वालों में सूखती जा रही गोमती को भी नहीं छोड़ा। नदी के आसपास खेती करने वालों पर नदी के पानी से ही साठा धान की सिंचाई करनी शुरू कर दी है। इस बात की जानकारी प्रशासन को भी हो चुकी है।  किसानों की ही मानें तो पिछले कुछ सालों की अपेक्षा इस बार साठा धान की रोपाई सबसे ज्यादा की गई है। असम हाईवे से पूरनपुर से पीलीभीत की ओर चलें तो हाईवे के दोनों ओर जरा तक खेतों में साठा धान की लगी फसल को देखा जा सकता है।

60 दिनों में पककर तैयार होती है साठा धान की फसल
किसानों के मुताबिक साठा धान की फसल 60 दिनों में तैयार हो जाती है, लेकिन इसको तैयार करने के लिए रोजाना ही सिंचाई की आवश्यकता होती है। साठा धान की पौध फरवरी में ही डलना शुरू हो जाती है। करीब 30 दिन में पौध तैयार हो जाती है। इसके बाद किसान सरसों, गेहूं, गन्ने  के खाली खेतों में साठा धान की फसल मात्र 60 दिन में तैयार कर लेते हैं। एक अनुमान के मुताबिक जिले में करीब छह हजार हेक्टेयर में साठा धान की खेती होती है। खास बात यह है कि इस प्रतिबंधित साठा धान की सरकारी स्तर पर कोई खरीद नहीं होती है।

साठा धान का उत्पादन बड़ी वजह
जिले में करीब डेढ़ दशक पूर्व कुछ बंगाली विस्थापितों ने साठा धान की पैदावार शुरू की थी। कम लागत देख तराई के किसानों ने भी इसकी पैदावार करनी शुरू कर दी। अब इसका रकबा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। किसानों के मुताबिक मुख्य धान की फसल से एक एकड़ में करीब 20 क्विंटल, जबकि साठा धान करीब 38 क्विंटल पैदा होता है।

कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएस ढाका के मुताबिक साठा फसल में हर तीसरे दिन पानी की खपत होने से भूगर्भ जल का खासा दोहन होता है। ऐसे में इस फसल से होने वाला मुनाफा आने वाले सालों में काफी महंगा साबित हो सकता है।

बिगड़े हालात तो जागा प्रशासन
इधर प्रतिबंधित फसल की रोपाई के करीब एक माह बाद प्रशासन सतर्क हुआ है। प्रशासन ने जिले में साठा धान की रोपाई पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। सभी उप जिलाधिकारियों को प्रचार प्रसार कर किसानों से साठा धान न लगाने के प्रति जागरूक करने को कहा गया है। साथ ही संबंधित क्षेत्रों में भ्रमण कर लेखपालों के माध्यम से किसानों को खेतों में साठा धान न लगाने के प्रति जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं।

भू-गर्भ जल स्तर के गिरने की संभावना एवं पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्परिणामों के दृष्टिगत जनपद में साठा धान के उत्पादन पर रोक लगाई गई है। सभी एसडीएम को संबंधित क्षेत्र में भ्रमण कर किसानों को साठा धान न लगाने के प्रति जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं। किसानों से भी अपील है कि वे खेतों में प्रतिबंधित साठा धान की रोपाई न करें--- संजय कुमार सिंह, डीएम।

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