मजदूर दिवस: मनरेगा में इतनी कम मजदूरी से पेट भरना मुश्किल

मजदूर दिवस: मनरेगा में इतनी कम मजदूरी से पेट भरना मुश्किल

बरेली, अमृत विचार। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत जिले में दो लाख साठ हजार लोग मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। मजदूरों को मजदूरी में खास बढ़ोत्तरी न होने का मलाल है।

मजदूरों का कहना है कि इतनी कम मजदूरी में पांच लोगों के परिवार का पेट भरना मुश्किल है। आरोप लगाया कि कि प्रधान, सचिव अपने चहेते लोगों के ही जॉब कार्ड बनवाकर मजदूरी पर लगवा देते हैं और भुगतान करा ले रहे हैं, अन्य लोग मजदूरी करने के लिए भटक रहे हैं।

मजदूरों से बातचीत
ऐसी मजदूरी से क्या फायदा पेट भरना भी हो मुश्किल
मनरेगा में हाल में ही सात रुपये बढ़ाए गए हैं पहले तो दो सौ तीस रुपये ही मिलते थे। इतनी कम मजदूरी वह भी समय से मिल जाए तो ठीक है। जबकि बाहर तो चार सौ रुपये मजदूरी मिल जाती है।- ननकू, करेली

मजदूरों के लिए सब दिन एक जैसे
इस सरकार में मजदूरी तो बढ़ी है और आनलाइन खाते में पेमेंट भी आ रहा है। पहले मैनुअल पेमेंट के लिए काफी भटकना पड़ता था। बस मजदूरी बढ़ जाए तो और बेहतर हो जाए।-होरीलाल, करेली

मनरेगा में दो लाख साठ हजार मजदूर हैं और तीस फीसदी महिलाएं भी हैं। मजदूरी आनलाइन खाते में भेजी जाती है।- मोहम्मद हसीब अंसारी, डीसी मनरेगा

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