पीलीभीत: निजी स्कूलों की मिलीभगत से कट रही अभिभावकों की जेब, मनमाने रेट पर बेचे जा रहे कोर्स

पीलीभीत: निजी स्कूलों की मिलीभगत से कट रही अभिभावकों की जेब, मनमाने रेट पर बेचे जा रहे कोर्स
डेमो

पूरनपुर, अमृत विचार। बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने को प्रयासरत अभिभावकों का शोषण नहीं थम सका है। बुक सेलर और स्कूल संचालकों के अनुबंध के तहत स्कूल के कोर्स डेढ़ से दो गुना रेट में बेचे जा रहे हैं। बिना मोलभाव के अभिभावक किताबें खरीदने को बेबस हैं। किताबों के मूल्यों की उचित जानकारी न होने पर वह विरोध भी नहीं कर पाते। एनसीईआरटी के नियमों को भी ताक पर रख दिया गया है। जिम्मेदार हर बार की तरह निगाहें फेरे हुए हैं।

अप्रैल से नया शैक्षिक सत्र शुरू हो गया है। स्कूल संचालक द्वारा अभिभावकों पर नई कक्षा में प्रोन्नत हुए बच्चों को नई किताबें लाने का दबाव बनाया जा रहा है। अधिकांश संचालक निर्धारित बुक सेलर से ही किताबें लाने का दबाव बना रहे हैं। कइयों ने सिर्फ एक ही दुकान पर स्कूल में संचालित प्रकाशन का कोर्स उपलब्ध कराया है। ऐसे में अभिभावकों के सामने उसी दुकान से किताबें खरीदने की मजबूरी है। एक दुकान पर मौजूद इन किताबों के मनमाने दाम वसूले जाते हैं। 

इसका सीधा असर अभिभावकों की जेब पर पड़ रहा है। एनसीईआरटी की एक दो किताबें ही अभिभावकों को बेची जा रही है। जबकि शासनादेश है कि एनसीईआरटी के तहत सस्ती किताबें ही बिक्री की जाएं। किताबें स्कूल संचालक द्वारा बताए प्रकाशन की दी जाती हैं। इनकी कीमत निर्धारित नहीं होती है। दुकानदार कक्षा के अनुसार अपनी मर्जी के मुताबिक कीमत लगाकर अभिभावकों को किताबें बिक्री कर रहे हैं। बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए अभिभावक किताबों का मोल भाव भी नहीं कर पाते। 

दुकानदार किताबों को डेढ़ से दोगुनी कीमत में बिक्री कर रहे हैं। इसको लेकर अभिभावकों में नाराजगी है लेकिन बच्चों की भविष्य को लेकर वह इसका विरोध नहीं कर पाते। शिक्षा विभाग के अधिकारी भी अभिभावकों की इस विकट समस्या को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। विभाग द्वारा किताबों की बिक्री से संबंधित कोई भी मानक निर्धारित नहीं किया गया है जिसकी बदौलत खुली लूट की जा रही है। बीएसए अमित कुमार ने बताया कि किताबों के मूल्यों के नियंत्रण से संबंधित उन्हें कोई शासनादेश नही मिला है।

सादे कागज पर दिया जा रहा किताबों का बिल
वर्तमान में दुकानों पर किताबें खरीदने के लिए अभिभावकों का मेला लगा रहता है। महंगे दामों पर बेचे जाने वाली किताबों की बिक्री से संबंधित बिल अभिभावकों को नहीं दिए जाते हैं। सादे कागज की पर्ची पर किताबों की कीमत लिखकर अभिभावक को थमा दी जाती है। बिना मोल भाव और छूट के दुकानदारों से कीमत वसूल की जाती है। दुकानदार अभिभावकों को पक्की बिल रसीद भी नहीं देते हैं। बिल मांगने पर उन्हें किताबें बिक्री करने से मना कर दिया जाता है। इसके अलावा बिक्री मूल्य को मिटाकर नए रेट की चिट चिपका दी जाती है।

एनसीईआरटी के तहत होनी चाहिए बिक्री
किताबों के रेट निर्धारित नहीं हैं। जिससे मनमानी कीमत ली जा रही है। एनसीईआरटी के तहत किताबें बिक्री होनी चाहिए- अनूप गुप्ता, अभिभावक।

एनसी का कोर्स ही मिला 3500 में 
किताबों की दुकानों पर कोर्स की मनमानी कीमत ली जा रही है। एनसी कक्षा का तीन हजार पांच सौ रुपये का कोर्स दिया जा रहा। शिक्षा विभाग को मनमानी पर रोक लगानी चाहिए - विकास त्रिवेदी, अभिभावक।

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