मुरादाबाद : फैक्ट्रियों के जहरीले केमिकल से प्रदूषित हो रही गागन नदी, जिम्मेदार कागजी कार्रवाई से कर रहे खानापूरी

बिजनौर से चली गागन का बिलारी में रामगंगा से होता है मिलन

मुरादाबाद : फैक्ट्रियों के जहरीले केमिकल से प्रदूषित हो रही गागन नदी, जिम्मेदार कागजी कार्रवाई से कर रहे खानापूरी

मुरादाबाद, अमृत विचार। गागन नदी की धारा कभी अविरल हुआ करती थी। अब वह नाले की शक्ल में दिखाई पड़ती है। उद्गम स्थल बिजनौर के नहटौर से नगीना और नजीबाबाद के बीच से होकर अलीराजपुर के आगे लगभग 100 किलोमीटर से ज्यादा का सफर कर गागन मुरादाबाद पहुंचती है। इस नदी से लोगों की धार्मिक आस्था भी जुड़ी है।

गंगा स्नान के दिन लोग बच्चों के मुंडन संस्कार से लेकर यहीं पर सत्य नारायण की कथा कराने का पुण्य भी कमाते हैं। जिला प्रशासन की ओर से बस एक दिन नदी तट पर साफ सफाई की व्यवस्था की जाती है। उसके बाद फिर कूड़ा-कचरा डाला जाता है। नदी से सटी फैक्ट्रियों के जहरीले केमिकल छोड़े जाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। वहीं केमिकल छोड़े जाने की बात पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी नोटिस देने तक ही सीमित नजर आ रहे हैं।

पिछले कई दशक से गागन नदी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। नदी के 74 मीटर दाएं और बाएं किसी प्रकार का निर्माण व व्यवसाय नहीं करने के मानक तय है। इसके विपरीत बीस साल से लगभग गागन नदी के किनारे गागन पुल से लेकर बिलारी तहसील के सिकंदरपुर गांव तक, दोनों किनारे पर 60 से अधिक रजिस्टर्ड फैक्ट्रियां संचालित हैं। जिनसे निकलने वाला जिंक केमिकल सीधा नदी में छोड़ा जाता है। आईआईटी कानपुर की टीम ने भी 2022 में गागन नदी पर एक सर्वे किया था। वहीं एनजीटी ने भी जांच की थी। उनकी रिपोर्ट में 1500 फैक्ट्रियों का अवैध कब्जा बताया गया था। रिपोर्ट के अनुसार फैक्ट्रियां अवैध रूप से नदी के किनारे बनी हैं। गागन नदी की लंबाई जिले में करीब सौ किमी है।

कभी गागन का जल भी नीला हुआ करता था
लाकड़ी के रहने वाले 80 वर्षीय दाताराम ने बताया कि कभी गागन का जल नीला हुआ करता था। पहले गागन में मछलियां व जलीय जीवों की अनेक प्रजातियां पाई जाती थीं। जब से फैक्ट्रियों का जहरीला पानी छोड़ा जा रहा है तब से मछलियां भी बहुत मुश्किल से दिखाई देती हैं। इस नदी के ऐतिहासिक स्वरूप को वापस लौटाने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से हर बात अनसुनी कर दी गई। नदी में फैक्ट्रियों के अलावा ग्रामीण भी दीपावली पर घरों की सफाई कर कूड़ा कचरा डालने लगे हैं। जिससे गागन अब एक नाला बनकर रह गई है। भले ही अब गागन नाला बनकर रह गई है, लेकिन बरसात में इसका जलस्तर काफी बढ़ जाता है। बरसात के दिनों में पहाड़ों पर अधिक बारिश होने से नदी में भयंकर बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है। उन्होंने बताया कि यह नदी मुरादाबाद में प्रवेश करने के बाद करीब दस किमी की दूरी तय कर बिलारी तहसील के गांव सिकंदरपुर में रामगंगा नदी में जाकर समा जाती है।

गागन को रोककर अंग्रेजों ने नहर बनाई थी। अंग्रेजी शासनकाल में गागन नदी पर बैराज बनाकर प्रवाह को थामा गया। नहटौर के बैराज से ही एक नहर निकाली गई। जिससे सिंचाई की जाती थी। अब इस नहर में गागन का पानी नहीं आता है। बता दें कि बरसात के अलावा इस नदी में पानी बेहद कम रहता है। गागन नदी से सटी रजिस्टर्ड फैक्ट्रियों को नोटिस दिया गया था। टीम द्वारा फैक्ट्रियों से निकलने वाले पानी का परीक्षण किया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।-आशुतोष चौहान, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

काफी समय से फैक्ट्रियों से निकलने वाले जहरीले केमिकल को बंद कराने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन जिला प्रशासन की ढिलाई से फैक्ट्री स्वामी का कुछ नहीं हो पाता। प्रदूषण बोर्ड भी शिकायत पर केवल जांच कराने की बात कहकर मामला ठंडे बस्ते में डाल देता है। स्थानीय लोग भी गागन नदी के प्रति जागरूक नहीं हैं और न ही कूड़ा -कचरा डालना बंद कर रहे हैं।-प्रिंस, लाकड़ी फाजलपुर

गागन नदी की सफाई के लिए कई बार गागन पुल पर कैंप लगाकर लोगों को जागरूक किया गया। लेकिन लोगों ने इसके बाद भी कूड़-कचरा डालना नहीं छोड़ा। लोगों को जागरूक होने की जरूरत है।-कपिल सिंह

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