Kanpur News: उर्सला में तीन माह से कमरे में बंद पड़ी जरूरी मशीन; अस्पताल के निदेशक ने कही ये बात...

Kanpur News: उर्सला में तीन माह से कमरे में बंद पड़ी जरूरी मशीन; अस्पताल के निदेशक ने कही ये बात...

कानपुर, अमृत विचार। उर्सला अस्पताल को करीब तीन माह पहले शासन से ब्लड बैंक के लिए मिली सिंगल डोनर प्लेटलेट्स एफेरिसिस मशीन अभी तक बंद पड़ी है। अस्पताल के नए निदेशक डॉ. एचडी अग्रवाल ने अब मशीन को चालू कराने की बात कही है। मशीन का लाभ अप्रैल माह के अखिरी सप्ताह से मरीजों को मिलने लगेगा। मशीन के जरिये एक डोनर के ब्लड से 10 प्लेटलेट्स बनाना संभव है। 

डेंगू, मलेरिया, वायरल बीमारियां बढ़ने पर प्लेटलेट्स की मांग बढ़ जाती है। अभी तक उर्सला अस्पताल के ब्लड बैंक में रक्तदान के बाद उससे लाल रक्त कणिकाएं, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा अलग किया जाता है। इसके बाद मरीज को प्लेटलेट्स या प्लाज्मा मिल पाता है। इस प्रक्रिया से मिले प्लेटलेट्स मरीज को चढ़ाने पर लगभग पांच से 10 हजार के बीच ही प्लेटलेट्स बढ़ती है। जबकि एक मरीज को कई यूनिट प्लेटलेट्स की जरूरत होती है। 

मरीजों को प्लेटलेट्स की दिक्कत न हो, इसलिए शासन से करीब तीन माह पहले उर्सला के ब्लड बैंक में सिंगल डोनर प्लेटलेट्स एफेरिसिस मशीन उपलब्ध कराई गई थी, जिसकी कीमत करीब 40 लाख रुपये है। लेकिन मशीन आने के बाद उसका संचालन ब्लड बैंक में नहीं किया गया। जबकि इस मशीन के चालू होने पर एक डोनर के ब्लड से 10 बार तक प्लेटलेट्स बनाई जा सकती हैं।

डोनर को भी नहीं होती कोई दिक्कत 

उर्सला अस्पताल के सीएमएस डॉ.शैलेंद्र तिवारी ने बताया कि सिंगल डोनर प्लेटलेट्स मशीन ब्लड के जरिए एक घंटे में प्लेटलेट्स निकालती है। डोनर के शरीर से ब्लड निकालकर मशीन में ले जाया जाता है, वहां से प्लेटलेट्स अलग होकर मरीज के शरीर तक पहुंचता है और बाकी ब्लड दोबारा डोनर के शरीर में पहुंचाया जाता है। खास बात यह भी है कि प्लेटलेट्स देने वाला व्यक्ति 72 घंटे बाद दोबारा प्लेटलेट्स दे भी सकता है। इस विधि से प्लेटलेट्स चढ़ाने से मरीज में 50 से 60 हजार तक प्लेटलेट्स बढ़ सकती है। 

शासन से उपलब्ध कराई इस अत्याधुनिक मशीन के जरिए एक डोनर से 10 बार प्लेटलेट्स बनाई जा सकती है। अभी तक एक डोनर से एक ही प्लेटलेट्स निकलती थी। यह सिंगल डोनर प्लेटलेट्स मशीन ब्लड बैंक में है। इसको इंस्टॉल करने के संबंध में कंपनी को पत्र लिखा जाएगा। इंस्टॉल होने के बाद यह मरीजों के काम आएगी। 
-डॉ. हरी दास अग्रवाल , निदेशक, उर्सला अस्पताल

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