रायबरेली: 'मार्च महोत्सव' मना रहे बेसिक शिक्षा विभाग में चल रहा लाखों का खेल, टेबल के नीचे से कर रहे वारे न्यारे!

माड्यूल छपाई में धांधली आई सामने, बीआरसी में कम तो कहीं करते रहे इंतजार

रायबरेली: 'मार्च महोत्सव' मना रहे बेसिक शिक्षा विभाग में चल रहा लाखों का खेल, टेबल के नीचे से कर रहे वारे न्यारे!

रायबरेली, अमृत विचार। बेसिक शिक्षा विभाग में इन दिनों बजट खपाने का खूब खेल चल रहा है। मार्च में वित्तीय वर्ष समाप्त होने को है। ऐसे में जैसे-तैसे प्रशिक्षण कराकर बजट को भी खूब खपाया जा रहा है। सबसे बड़ी यह कहीं और नहीं बल्कि विभाग के जिला कार्यालय में कर दिया गया। जिम्मेदार पाक-साफ बने रहने का भले दावा कर रहे हों, लेकिन जिस तरह से टेबल के नीचे से लाखों का खेल हो रहा है, इससे कोई भी अंजान नहीं है। हाल ही में बीआरसी में वितरण के लिए छपवाए गए माड्यूल में लाखों का वारा-न्यारा कर दिया गया। इसमें मुख्यालय में बैठे दो कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है।

बच्चों के भविष्य की बात कहने वाले ही जब उनके हिस्से का बजट हड़पने की तैयारी कर रहे हो तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में सरकार की छवि को कितना नुकसान पहुंचाया जा रहा है। जी हां, हम बात कर रहे है बेसिक शिक्षा विभाग की। यहां पर उस समय पर प्रशिक्षण शुरू करा दिया गया, जब विद्यालय में बच्चों के आंकलन के लिए वार्षिक परीक्षा कराई जा रही थी। हद तब तो गई, जब शिक्षक को परीक्षा के साथ बीआरसी प्रशिक्षण में भी बुला लिया गया। 

वहीं जिला मुख्यालय पर बीआरसी में चलने वाले तीन दिवसीय पावर एंजेल सशक्तिकरण प्रशिक्षण में देने के लिए छपवाये गए माड्यूल में तो भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा को ही पार कर दिया गया। कहने के लिए पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रही, लेकिन अंदरखाने में बाबू की सेटिंग-गेटिंग और डीसी की सहमति का नतीजा रहा कि कागजों पर संख्या तो पूरा दर्शा दिया गया, लेकिन मौके पर कम मात्रा में मंगाया गया। 

नतीजतन कई बीआरसी में शिक्षक इंतजार ही करते रहे। वहीं कुछ जगह कम मात्रा में पहुंचने पर सिर पकड़ पर बैठ गए। मामला जिला मुख्यालय से जुड़ा था। ऐसे में कोई भी मुंह खोलने को तैयार नहीं हुआ। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शिवेंद्र प्रताप सिंह की कार्यशैली को लेकर जरूर प्रश्नचिन्ह लगने लगा है। जिस तरह से उनके द्वारा व्यवस्था को पारदर्शी बनाने का प्रयास किया जा रहा है, कहीं ना कहीं उनकी इस व्यवस्था पर मातहत ही पानी फेरने में लगे हुए हैं।

कंपोजिट, जूनियर और कस्तूरबा विद्यालय में भेजा जाना है माड्यूल

पावर एंजेल सशक्तिकरण प्रशिक्षण के बाद एक विद्यालय में तीन माड्यूल भेजना है। इसका उद्देश्य तीनों चयनित बच्चों को इसके सहारे महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराना है। इसमें कंपोजिट, जूनियर और कस्तूरबा विद्यालय शामिल हैं। इनकी संख्या छह सौ से अधिक की है। ऐसे में जब माड्यूल ही नहीं मिलेगा तो बच्चियां कैसे सशक्तिकरण के बारे में जान सकेंगी।

यहां पर बजट में लगा रहे सेंध

बीआरसी में तीन दिवसी प्रशिक्षण में माड्यूल के साथ ही भोजन, स्टेशनरी, बैनर, फोटोग्राफी के साथ-साथ दो संदर्भदाताओं के मानदेय और यात्रा भत्ता आदि का बजट निर्धारित है। बीआरसी बछरावां में 38, महराजगंज में 32, शिवगढ़ में 32, लालगंज में 27, सरेनी में 40, खीरों में 39, ऊंचाहार में 27, रोहनिया में 18, जगतपुर में 23, राही में 60, नगर क्षेत्र में 10, अमावां में 52, हरचंदपुर में 35, सलोन में 31, डीह में 20, छतोह में 23, डलमऊ में 37, गौरा में 26 और सतावं में 30 विद्यालय शामिल हैं।

जिला समन्वयक बोले, आज जगतपुर भेजा गया है

इस बाबत जब जिला समन्वयक बालिका शिक्षा विनय तिवारी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि माड्यूल कम नहीं है। गुरुवार को जगतपुर भेजा गया है। उनके बयान से साफ पता चलता है कि कहीं ना कहीं इसमें टेबल के नीचे का खेल चल रहा है। नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर शिक्षकों ने बताया कि प्रशिक्षण में सिर्फ बजट खपाया जा रहा है।

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