Chaitra Navratri 2024: कलश को स्थापित करने से पहले जान लें ये नियम, इस विधि से करें स्थापना

Chaitra Navratri 2024: कलश को स्थापित करने से पहले जान लें ये नियम, इस विधि से करें स्थापना

Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि का माता के भक्तों को बेसब्री से इंतजार रहता है। इस बार चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व 9 अप्रैल से शुरू हो रहा है। हर साल की तरह मां के भक्त नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करेंगे। तो आइए जानते हैं नवरात्रि के पहले दिन स्थापित किए जाने वाले कलश स्थापना का पौराणिक महत्व।  

किसका प्रतीक होता है कलश 
नवरात्रि के दौरान रखा जाने वाला कलश ब्रह्माण्ड, विराट, ब्रह्मा और भू पिंड का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इसमें सम्पूर्ण देवताओं की शक्ति समाहित होती है। पूजन के दौरान कलश स्थापना को देवी की शक्ति, तीर्थस्थान आदि का प्रतीक मानते हुए स्थापित किया जाता है। हिन्दू धर्म में पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कलश के मुख में भगवान विष्णु, कंठ में भगवान शिव और मूल में ब्रह्मा स्थित होते हैं। 

किस धातु का होना चाहिए कलश 
कलश स्थापना में सदैव सोने, चांदी, तांबे या फिर मिट्टी के बने कलश का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। लोहे के कलश का उपयोग कभी भी नहीं करना चाहिए। स्थापना हमेशा उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा में करना चाहिए।

कलश स्थापना के नियम
जिस स्थान पर कलश स्थापित करने जा रहे हैं, उस स्थान को स्वच्छ कर गंगाजल का छिड़कें। इसके बाद कलश स्थापना करें। कलश स्थापना के लिए मिट्टी की वेदी बनाकर हल्दी से अष्टदल बनाएं। इसमें पंच पल्लव, जल, दूर्वा, चन्दन, पंचामृत, सुपारी, हल्दी, अक्षत, सिक्का, लौंग, इलायची, पान डालकर इसकी स्थापना करें। कलश को स्थापित करने के बाद इसके ऊपर लाल रोली से स्वास्तिक बनाएं। कलश पर बनने वाला ये स्वास्तिक का चिन्ह चारों युगों का प्रतीक माना जाता है।

कलश स्थापना की विधि
वहीं कलश पर सुपारी, दुर्वा, अक्षत, सिक्का रखना भी शुभ माना जाता है। कलश को बालू की एक वेदी पर स्थापित किया जाता है, जिस पर जौ बोए जाते हैं। कहते हैं जौ बौने से माता अन्नपूर्णा की कृपा बनीं रहती है। जौ की वेदी को तैयार करने के बाद धूप दीप जलाकर कलश की पूजा की जाती है। भक्त कलश की पूजा के साथ ही नवरात्रि के व्रत का संकल्प भी लेते हैं और माता को अपने घर आमंत्रित करते हैं। नवरात्रि में कलश को स्थापित करने का महत्व ये भी है कि इससे आपकी पूजा अर्चना में किसी तरह की बाधा नहीं आती। अगर आप भी नवरात्रि में माता को प्रसन्न करना चाहते हैं, व्रत रखना चाहते हैं तो नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना अवश्य करें।

(नोट- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। अमृत विचार एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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