23 मार्च शहीद दिवस: आजादी दिलाने को हड़हा गांव से नेताजी ने किया था शंखनाद

23 मार्च शहीद दिवस: आजादी दिलाने को हड़हा गांव से नेताजी ने किया था शंखनाद

दरियाबाद/ बाराबंकी, अमृत विचार। आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आजाद हिंद फौज के संरक्षक सुभाष चन्द्र बोस की हड़हा स्थित प्रतिमा आजादी के उन पलों की आज भी याद दिलाती है। जब नेता जी के कदम दरियाबाद क्षेत्र में पड़े थे। देश में अंग्रेजों के सितम बढ़ रहे थे। भारतीयों पर अंग्रेजी हुकूमत कहर बरसा रही थी। हर तरफ अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह की चिंगारी फूट चुकी थी। आजाद भारत के लिए संग्राम तेज था। अंग्रेजों की गुलामी से देश को मुक्त कराने के लिए एक सेना और संगठन की जरूरत महसूस करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 24 नवंबर 1938 को दरियाबाद के हड़हा गांव में प्रशिक्षण शिविर लगाया था।

आजाद हिंद फौज के नायक नेताजी ने यहां पर अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए आजादी के मतवालों को प्रशिक्षण दिया। इसके बाद दरियाबाद से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ नेताजी की फौज ने बिगुल फूंका। 23 जनवरी 1897 को कटक में अधिवक्ता जानकीनाथ बोस के घर जन्मे आजाद हिंद फौज के नायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस दरियाबाद के हड़हा गांव में 1938 में आए थे। नेताजी ने यहां शिविर लगाया था। अंग्रेजों की यातनाओं से आजादी दिलाने के लिए नेताजी ने यहीं पर शंखनाद किया। देश भर में आंदोलन के दौर के वक्त 24 नवंबर 1938 को दरियाबाद के हड़हा गांव में कंपकंपाती ठंड में देश भक्ति के जज्बे से भरे लोगों में जोश गर्म था। यहां 24 नवंबर को ही नेता जी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा स्थापना के साथ प्रशिक्षण शुरू हुआ। यहां कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की ओर से एक प्रांतीय शिविर आयोजित हुआ था। इस शिविर के आचार्य डॉ. राम मनोहर लोहिया व प्रभारी केशव प्रसाद शर्मा थे। शिविर का उद्घाटन नेताजी सुभाषचंद्र बोस व कार्यक्रम की अध्यक्षता योगेश चंद्र चटर्जी ने की थी। 

बताते हैं कि आचार्य नरेंद्र देव के आग्रह पर इस कैंप का समस्त व्यय हड़हा रियासत के तत्कालीन राजा प्रताप बहादुर सिंह ने किया था। इस अधिवेशन में शामिल होकर नौजवानों ने आरपार की लड़ाई लड़कर देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई। आज हम 23 मार्च को शहीद दिवस ऐसे बलदानियों को हम सब याद करते हैं।

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