चुनावी बॉण्ड: SBIकी अर्जी खारिज करने संबंधी कोर्ट के आदेश का अखिलेश ने किया स्वागत
लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनावी बॉण्ड का विवरण निर्वाचन आयोग को देने के लिए समय बढ़ाने का अनुरोध करने संबंधी भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अर्जी उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज किये जाने पर सोमवार को खुशी जाहिर की।
पूर्व मुख्यमंत्री ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘पूरे देश की जनता को इस बात की खुशी है कि उच्चतम न्यायालय के माध्यम से कम से कम वह सूची (चुनावी बॉण्ड से जुड़े लोगों की सूची) सामने आ जाएगी। इस सूची से यह पता लग जाएगा कि चुनावी बॉण्ड किन-किन लोगों से सम्बन्धित है।''
सपा अध्यक्ष ने कहा कि अब सवाल यह है कि वह सूची सार्वजनिक की जाएगी या नहीं। उन्होंने कहा, ''हम और आप जान पाएंगे या नहीं। भाजपा तो जानती है कि उसे कहां से चंदा मिला है। यदि हमें चंदा मिला होगा तो हमें पता ही होगा। जनता जान पाएगी या नहीं, यह सबसे बड़ा सवाल है।''
उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने चुनावी बॉण्ड संबंधी जानकारी का खुलासा करने के लिए समयसीमा बढ़ाए जाने के अनुरोध सम्बन्धी एसबीआई की याचिका सोमवार को खारिज कर दी और उसे 12 मार्च को कामकाजी घंटे समाप्त होने तक निर्वाचन आयोग को चुनावी बॉण्ड संबंधी विवरण उपलब्ध कराने का आदेश दिया।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने निर्वाचन आयोग को भी एसबीआई द्वारा साझा की गई जानकारी 15 मार्च को शाम पांच बजे तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया। पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल रहे।
सुनवाई के दौरान, पीठ ने एसबीआई की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे की इन दलीलों पर गौर किया कि विवरण जुटाने और उनका मिलान करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता है क्योंकि जानकारी इसकी शाखाओं में दो अलग-अलग कक्षों में रखी गई थी।
उन्होंने कहा कि अगर मिलान प्रक्रिया न करनी हो तो एसबीआई तीन सप्ताह के भीतर इस प्रक्रिया को पूरा कर सकता है। पीठ ने कहा कि उसने एसबीआई को चंदा देने वालों और चंदा प्राप्त करने वालों के विवरण का अन्य जानकारी से मिलान करने का निर्देश नहीं दिया है। उसने कहा कि एसबीआई को सिर्फ सीलबंद लिफाफा खोलना है, विवरण एकत्र करना है और निर्वाचन आयोग को जानकारी देनी है।
पीठ ने बैंक से यह भी पूछा कि उसने शीर्ष अदालत के 15 फरवरी के फैसले में दिए गए निर्देशों के अनुपालन के लिए क्या कदम उठाए हैं। संविधान पीठ ने 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केंद्र की चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द कर दिया था और इसे ‘‘असंवैधानिक’’ करार देते हुए निर्वाचन आयोग को चंदा देने वालों, चंदे के रूप में दी गई राशि और प्राप्तकर्ताओं का 13 मार्च तक खुलासा करने का आदेश दिया था।
न्यायालय ने एसबीआई की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक चुनावी बॉण्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए समयसीमा 30 जून तक बढ़ाए जाने का अनुरोध किया गया था। पीठ ने एक अलग याचिका पर भी सुनवाई की, जिसमें एसबीआई के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया गया है।
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