अयोध्या की महारानी का बरेली से रिश्ता, ऐतिहासिक है भगवान कृष्ण का पोर्ट्रेट

अयोध्या की महारानी का बरेली से रिश्ता, ऐतिहासिक है भगवान कृष्ण का पोर्ट्रेट

बरेली, अमृत विचार। शहर में महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति विभाग के पांचाल संग्रहालय में रखा भगवान श्रीकृष्ण का पोर्ट्रेट अयोध्या की महारानी और बरेली के संबंधों को जीवंत करता है। भगवान श्रीकृष्ण की यह पोर्ट्रेट पांचाल संग्रहालय की दिवंगत राजिका सिंह वीथिका में संजोकर रखी गई है।

इसको लेकर पांचाल संग्रहालय के इंचार्ज डॉ हेमंत मनीषी शुक्ला बताते हैं कि श्रीकृष्ण भगवान की यह पोर्ट्रेट वर्तमान में बिहार राज्य में नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अभय कुमार की दिवंगत माता जी को उपहार स्वरूप मिली थी। दरअसल, साल 1950 के दश्क में प्रोफेसर अभय कुमार की माता जी उषा देवी जब विवाहित होकर अयोध्या से अपने पति शंकर सिंह के साथ बरेली आई थीं, तो उस वक्त अयोध्या की महारानी ने ये पोर्ट्रेट अपने हाथों से सजाकर उन्हें उपहार में दिया था।

इस पोर्ट्रेट को अगर ध्यान से देखा जाए तो इसमें लगे मोर पंख, माला और धोती साथ के में जो बाजू बंध, ब्रेसलेट, अंगूठी, हार, कुंडल आदि को उन्होंने अपने हाथों से चिपकाए हैं। इस पोर्ट्रेट से यह जाहिर होता है कि अयोध्या की महारानी का संबंध बरेली से दश्कों पुराना हैं।

इस पोर्ट्रेट को देखकर यह लगता है कि अयोध्या की महारानी का भगवान श्रीकृष्ण के प्रति बेहद प्रेम, अनुराग और भक्ति रही होगी। जिससे उन्होंने इतनी खूबसूरत पेंटिंग अपने हाथों से तैयार की है। पांचाल संग्रहालय के इंचार्ज डॉ हेमंत मनीषी शुक्ला बताते हैं कि इस पोर्ट्रेट का अभी तक फ्रेम नहीं बदला गया। क्योंकि वह इसका ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। बता दें कि कि अपनी मां को उपहार में मिले इस खास पोर्ट्रेट को प्रोफेसर अभय कुमार ने साल 2019 में ईरान जाने से पहले पांचाल संग्रहालय को दान स्वरूप प्रदान किया था। जिसे यहां बेहद खास तरह से संजोकर रखा गया है।

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