Kanpur: डिफेंस कॉरिडोर में अडाणी समूह की यूनिट कल से शुरू; आर्मी होगी और भी ताकतवर...देश बनेगा आत्मनिर्भर

एशिया की सबसे बड़ी युनिट में बनेंगे बम, कारतूस व स्नाइपर राइफल

Kanpur: डिफेंस कॉरिडोर में अडाणी समूह की यूनिट कल से शुरू; आर्मी होगी और भी ताकतवर...देश बनेगा आत्मनिर्भर

कानपुर, अमृत विचार। शहर में सोमवार से एशिया का सबसे बड़ा आयुध कारखाना शुरू होगा। डिफेंस कॉरिडोर में अडाणी समूह की यूनिट के शुरू होते ही मार्च से यहां पर उत्पादन कार्य शुरू होगा। इस युनिट में अदाणी समूह रक्षा क्षेत्र से जुड़े उत्पाद बनाने वाली इस युनिट में उन्नत किस्म के बम, कारतूस और स्नाइपर राइफल सहित अन्य हथियार बनाए जाएंगे। माना जा रहा है कि इस युनिट में उत्पादन शुरू होने के बाद भारत की रक्षा क्षेत्र में रूस, अमेरिका और इजराइल जैसे देशों पर निर्भराता कम होगी।

डिफेंस कॉरिडोर में अडाणी एन्युमेशन कॉम्प्लेक्स में युनिट की शुरुआत पर रक्षा क्षेत्र से जुड़े कई विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। विशेषज्ञों के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ भी रक्षा उत्पादों का निरीक्षण करेंगे। इनमें गोलियां, रायफल, ग्रेनेड सहित अन्य रक्षा उत्पाद शामिल होंगे। 

लगभग चार घंटे तक चलने वाले समारोह के दौरान रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ने के चरण और उससे होने वाले फायदें भी बताए जाएंगे। इसके अलावा युनिट में उन्नत किस्म के बनने वाले उत्पादों के प्रोटोटाइप से भी रक्षा विशेषज्ञों को रूबरू कराया जाएगा। प्रोजेक्टर के माध्यम से अयुध क्षेत्र में होने वाले विकास को भी दर्शाया जाएगा।   

मार्च से उत्पादन शुरू

डिफेंस कॉरिडोर में मार्च से उत्पादन कार्य शुरू हो जाएगा। अडाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस की पहली यूनिट में सबसे पहले रायफल, लाइट मशीन गन, एके-47 और कार्बाइन की गोलियां बनेंगी। दूर से अचूक निशाना लगाने में सक्षम स्नाइपर रायफल का निर्माण भी होगा। इसके बाद अगले चरण में आर्टिलरी गन, गोला-बारूद, तोपें और हैंड ग्रेनेड समेत सेना के जवानों के लिए अलग-अलग तरह के अस्त्र-शस्त्र का निर्माण यहां पर शुरू होगा। 

समूह की ओर से सेना के लिए उपयोग में लाए जाने वाले कई उपकरण और सामग्रियां भी यहां पर बनाई जाएंगी। इसके लिए शोध कार्य भी इस क्षेत्र में हो सकेगा। इस शोध कार्य में विशेषज्ञ विभिन्न परिस्थितियों और मौसम में सेना के उपयोग में आने वाले गैजेट्स पर भी कार्य करेंगे। 

कम हो रही निर्भरता

भारत रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भर बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के बढ़ते कदम का इंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में भारत ने 46 फीसदी के मुकाबले दिसंबर 2022 में सिर्फ 36.7 फीसदी ही अन्य देशों से खरीद की थी। 

इससे उलट वर्ष 2013-14 में देश का डिफेंस एक्सपोर्ट जहां शून्य था वहीं 2021-22 में यह बढ़कर लगभग 15 हजार करोड़ रुपये हो गया। माना जा रहा है कि डिफेंस कॉरिडोर में रक्षा क्षेत्र से जुड़े ऐसे कई उत्पादों का निर्माण किया जाएगा जिससे निर्यात में बढोत्तरी हो सकेगी। 

डिफेंस कॉरिडोर का होगा विस्तार

डिफेंस कॉरिडोर का भविष्य में विस्तार भी किया जाएगा। इसके लिए जमीन को चिन्हित किए जाने की तैयारी की जा रही है। विस्तार होने के बाद कॉरिडोर में आने वाली युनिट की ओर से बुलेट प्रूफ जैकेट से लेकर लड़ाकू विमान भी तैयार किए जाने की योजना है। 

यह उत्पाद होते हैं निर्यात

भारत की ओर से फिलहाल विभिन्न देशों को रक्षा क्षेत्र में जुड़े उत्पाद निर्यात किए जा रहे हैं। इनमें 34 देशों को देश में बने बुलेटप्रुफ जैकेट और हेल्मेट, 23 देशों को बंदूक के उपकरण, 11 देशों को बैटरियां, 8 देशों को एम्युनेशन, 5 देशों को एयरों कंपोनेंट्स, 4 देशों को आर्मर शिल्डिंग, 4 देशों को चेतक और एक देश को फस्ट अटैक क्रॉफ्ट शामिल है। माना जा रहा है कि एशिया के सबसे बड़े रक्षा उत्पाद क्षेत्र के विकसित होने से इनमें इजाफा हो सकेगा। 

499 एकड़ जमीन आवंटित की है 
260 हेक्टेयर और जमीन चिह्नित 
100 छोटी-छोटी इकाइयां भी स्थापित होंगी

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