हल्द्वानी: रेलवे प्रकरण में मसीहा बनने नहीं अपना धंधा बचाने कूदा था अब्दुल मलिक

हल्द्वानी: रेलवे प्रकरण में मसीहा बनने नहीं अपना धंधा बचाने कूदा था अब्दुल मलिक

हल्द्वानी, अमृत विचार। अब्दुल मलिक साल 2023 में रेलवे प्रकरण में बनभूलपुरा के लोगों पर कार्रवाई होने से बचाने के लिए न्यायिक मदद के लिए आगे आया था। पुलिस को यह भी जानकारी मिली है कि अब्दुल मलिक उस समय बनभूलपुरा का मसीहा बनने नहीं आया था। उसकी ऐसी कोई मंशा ही नहीं थी।

मलिक का बनभूलपुरा में सरकारी जमीन को बेचने का अवैध कारोबार है। अगर रेलवे की बनभूलपुरा में कार्रवाई हो जाती है तो मलिक के जमीन के अवैध कारोबार पर भी प्रभाव पड़ता। बनभूलपुरा में रेलवे के दावे की जमीन से अगर घर टूटते तो मलिक की कब्जाई जमीनों को खरीददार नहीं मिलता। इसी कारोबार के बल पर उसने करोड़ों रुपये कमाए हैं। इसी दौलत के बल पर उसने राजनीति में भी अपनी अच्छी पकड़ बनाई।

यहां तक बसपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी से लोकसभा का चुनाव तक लड़ा। अब्दुल मलिक की अकूत संपत्ति की वजह से ही उसे अपने अन्य धंधों में सफलता मिली और उसकी अकूत संपत्ति का असली आधार सरकारी जमीन को अवैध तरीके से बेचना है।

मलिक पचास रुपये के स्टांप पर लोगों को 15 से 25 लाख रुपये में सरकारी जमीन का प्लॉट बेच देता था। नगर निगम की 29 जनवरी को कार्रवाई के बाद मलिक के इसी काले कारनामे की जांच होने की संभावना बनी थी। माना जा रहा है कि खुद को बचाने के लिए ही मलिक ने बनभूलपुरा कांड करवाया।