वैश्विक सुरक्षा चुनौतियां

वैश्विक सुरक्षा चुनौतियां

आज दुनिया परमाणु खतरों, जलवायु संकट और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जोखिम जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पहले से कहीं अधिक विभाजित है। इन हालात में इस वर्ष के म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन का खास महत्व रहा। आयोजन की महत्ता के मद्देनजर विदेशमंत्री एस.जयशंकर तीन दिवसीय म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन (एमएससी) में शामिल हुए।

सम्मेलन वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों पर केंद्रित रहा। इससे  पहले सम्मेलन के आयोजकों ने दुनिया भर में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता पर केंद्रित म्यूनिख सुरक्षा रिपोर्ट जारी की।’रक्षा का दावोस’ कहा जाने वाला एमएससी अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति का एक बड़ा मंच है। इस मंच के जरिए दुनिया भर के नेता और राजनयिक अहम मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं।

ये प्रमुख सुरक्षा और विदेश नीति के मुद्दों पर चर्चा और समाधान करने पर केंद्रित है। यानि यह राजनीतिक नेताओं, नीति निर्माताओं, सैन्य अधिकारियों, विशेषज्ञों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के लिए वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों पर बातचीत और बहस में शामिल होने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। इसकी शुरुआत 1962 में एक जर्मन सैन्य अधिकारी एवाल्ड फोन क्लाइस्ट ने की।

क्लाइस्ट वही सैन्य अधिकारी हैं जिन्होंने तानाशाह एडोल्फ हिटलर की हत्या की योजना बनाई। सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने यूरोप और अमेरिका की विभिन्न आशंकाओं को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि  भारत पश्चिमी देशों का विरोधी नहीं बल्कि पश्चिमी देशों से अलग है। रूस के साथ व्यापार और दूसरी तरफ अमेरिका के साथ बढ़ते संबंधों के बीच संतुलन बनाए रखने के मुद्दे पर कहा यूक्रेन रूस विवाद पर भारत अपनी बात स्पष्ट करता रहा है।

भारत ने इस मामले पर हिंसा को खत्म करने के लिए बातचीत और कूटनीति से बीच का रास्ता निकालने की वकालत की है। गाजा में मौजूदा स्थिति को लेकर चिंता के बीच  कहा कि भारत कई दशकों से कहता रहा है कि फिलिस्तीन मुद्दे का द्विराष्ट्र समाधान होना चाहिए।

महत्वपूर्ण है कि जयशंकर ने  अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक की मौजूदगी में  यह टिप्पणी की। इस बीच, अमेरिका ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र में संघर्ष विराम प्रस्ताव पेश होने पर फिर से वह वीटो शक्ति का इस्तेमाल करेगा।

अमेरिका, इजराइल का करीबी सहयोगी है। कहा जा रहा है कि एमएससी यूक्रेन संकट और फिलिस्तीन-इजरायल संघर्ष जैसी कई वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा के लिए अनूठा अवसर साबित हुआ। वहां अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा की गई। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को तात्कालिकता और एकजुटता की नई भावना के साथ न्याय-आधारित समाधानों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।