बरेली कॉलेज में स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रमों के निदेशक की नियुक्ति निरस्त

बरेली, अमृत विचार। बरेली कॉलेज में स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रमों के निदेशक की नियुक्त को रुहेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केपी सिंह ने विधिसम्मत न मानते हुए निरस्त कर दिया है। प्राचार्य प्रो. ओपी राय की शिकायत पर कुलपति ने तीन सदस्यी जांच समिति बनाई थी।
बयानों में देरी की वजह से जांच करीब आठ महीने तक चली। समिति की रिपोर्ट के बाद कुलपति ने मंगलवार को आदेश जारी किया। वहीं प्रबंध समिति ने निर्णय के विरुद्ध कोर्ट जाने की बात कही है।
प्राचार्य ने 24 मई 2023 को कुलपति से शिकायत कर बरेली कालेज में स्ववित्तपोषित योजना के अन्तर्गत संचालित हो रहे पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए 21 मई को प्रबंध समिति की असाधारण बैठक में पूर्व प्राचार्य प्रो. अनुराग मोहन को स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों का निदेशक नियुक्त करने पर आपत्ति दर्ज कराई थी। प्राचार्य ने नियुक्त को शासनादेश के विरुद्ध बताया था। इसके बाद कुलपति ने 26 अगस्त 2023 को तीन सदस्यी जांच समिति गठित की।
समिति ने पक्षकारों को अपना पक्ष रखने के लिए 6 सितंबर 2023 को पत्र जारी किया लेकिन उपाध्यक्ष प्रबंध समिति काजी अलीमुद्दीन ने स्वास्थ्य कारणों से और सचिव देवमूर्ति ने अति आवश्यक कार्य में व्यस्त होने के कारण आने में असमर्थता जताई। दोबारा 9 सितंबर को सचिव और उपाध्यक्ष को बुलाया लेकिन उपस्थित नहीं हुए। इसके बाद दोनों ने समिति को लिखित बयान प्रस्तुत किया।
पांच बिंदुओं पर समिति ने की जांच
समिति ने 25 नवंबर को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें निदेशक की नियुक्ति को पूर्णतया अवैधानिक एवं नियम विरुद्ध पाया। जांच ने पांच बिंदुओं पर जांच की, जिसमें प्राचार्य ने दावा किया गया कि विश्वविद्यालय के अधिनियम या परिनियमावली या शासनादेशों में निदेशक पद का कोई प्राविधान नहीं है।
जांच में प्रबंध समिति ने पूर्व में तीन समन्वयकों और इंचार्ज को नामित किये जाने की परंपरा का उल्लेख किया है और बताया कि निदेशक को वित्त पोषित या स्ववित्तपोषित आय से किसी भी प्रकार का वेतन, भत्ता और पारिश्रमिक का भुगतान नहीं किया जा रहा है। प्राचार्य को प्रबंधन के निर्णयों पर आपत्ति करने का अधिकार नहीं है। बैठक में प्राचार्य थे लेकिन आपत्ति नहीं की। प्राचार्य का कहना है कि उन्होंने बैठक में आपत्ति की लेकिन उसे दर्ज नहीं किया गया।
वेतन बिल पर हस्ताक्षर का भी लगा आरोप
आरोप लगा कि कि अप्रैल और मई 2023 के स्ववित्तपोषित शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारी के वेतन आहरण बिल पर प्राचार्य के हस्ताक्षर नहीं थे, बल्कि निदेशक डॉ. अनुराग मोहन के हस्ताक्षर करवायें गए। इसके अलावा छात्र निधियों के अन्तर्गत भारतीय स्टेट बैंक बरेली कालेज शाखा के खाता से धनराशि को गलत तरीके से निकाला गया। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के 2022-23 के वेतन आहरण बिल पर भी निदेशक के हस्ताक्षर हैं, प्राचार्य के नहीं। क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी को जारी वेतन निर्धारण पत्र भी निदेशक के हस्ताक्षर से प्रेषित किया गया है।
प्राचार्य के अलावा निदेशक पद का नहीं कोई उल्लेख
प्राचार्य के अलावा निदेशक का पद उच्च शिक्षा अधिनियम 1980 में कोई उल्लेख नहीं है। अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में प्राचार्य का एकल पद होता है। प्राचार्य के अधिकारों और दायित्यों का बंटबारा किसी अन्य के साथ नहीं किया जा सकता है।
प्राचार्य के हस्ताक्षर के बिना वेतन भत्तों का भुगतान विधि सम्मत नहीं है और शासनादेशों के अंतर्गत यह अधिकार निदेशक को नहीं दिया जा सकता है। प्रबंध समिति ने बताया कि पहले डॉ. शिशिर कुमार शर्मा, डॉ. एके सिन्हा और डॉ. डीके गुप्ता को समन्वयक और इंचार्ज नामित किया गया। इस पर प्राचार्य ने कहा कि पूर्व में की गई अनियमितताओं को दृष्टांत नहीं बना सकते।
जांच समिति की रिपोर्ट, पक्षों के बयान, शासनादेशों, उच्च शिक्षा निदेशक के आदेशों और विश्वविद्यालय अधिनियम एवं परिनियम के आधार पर कुलपति ने प्रबंध समिति के आदेश को विधिसम्मत नहीं माना और इसे निरस्त किया।
शैक्षणिक संस्था को बचाने के लिए शिकायत की थी। बरेली कॉलेज को कुछ लोग बर्बाद करना चाहते हैं। विधि के अनुसार कुलपति ने निर्णय लिया है।- प्रो. ओपी राय, प्राचार्य
कॉलेज में पहले भी तीन बार समन्वयक और प्रभारी नियुक्त किए गए। प्रो. अनुराग मोहन की भी नियुक्ति सही की गई। कुलपति के आदेश के विरुद्ध कोर्ट का रुख करेंगे।- देवमूर्ति, सचिव प्रबंध समिति
प्रबंध समिति ने नियुक्ति की है। आदेश को देखा जाएगा। प्रबंध समिति के आदेश के बाद ही पद से हटेंगे।- प्रो. अनुराग मोहन, निदेशक स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रम
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