कर्नाटक: मंदिरों के समूह ने दिया भारतीय संस्कृति के अनुरूप वस्त्रों पर जोर 

कर्नाटक: मंदिरों के समूह ने दिया भारतीय संस्कृति के अनुरूप वस्त्रों पर जोर 

बेंगलुरू। कर्नाटक में मंदिरों, मठों और धार्मिक संगठनों के एक समूह ने राज्य के 500 से अधिक मंदिरों में भारतीय संस्कृति के अनुसार ‘ड्रेस कोड’ लागू करने का प्रस्ताव किया है। इनमें बेंगलुरु के 50 मंदिर शामिल हैं। समूह ने बंदोबस्ती विभाग के नियंत्रण वाले मंदिरों में ‘ड्रेस कोड’ लागू करने के लिए राज्य के हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती मंत्री रामलिंगा रेड्डी से अपील करने का फैसला किया है।

कर्नाटक देवस्थान-मठ मट्टू धार्मिक संस्थान महासंघ' के संयोजक मोहन गौड़ा ने एक बयान कहा, ''आज, जब मंदिरों में ड्रेस कोड लागू किया गया है, तो कुछ प्रगतिशील, तर्कवादी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थक शोर कर रहे हैं; लेकिन उन्हें सफेद पतलून पहनने वाले पादरियों, पाजामा पहनने वाले मौलवियों या काला नकाब पहनने वाली मुस्लिम महिलाओं के कपड़ों पर कोई आपत्ति नहीं है।

’’ गौड़ा ने कहा, ‘‘ ढीले कपड़ों या गैर-पारंपरिक वस्त्रों में भगवान के दर्शन के लिए मंदिर जाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं हो सकती है। हर किसी को घर पर और सार्वजनिक रूप से क्या पहनना है, इसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता है; लेकिन मंदिर एक धार्मिक स्थान है। हर किसी को इसके अनुरुप आचरण करना चाहिए। मंदिर परिसर में, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं बल्कि धर्म का पालन करना महत्वपूर्ण है।''

उन्होंने दावा किया कि पश्चिमी कपड़ों की तुलना में भारतीय कपड़े आध्यात्मिक रूप से अधिक शुद्ध और शालीन होते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में 'आध्यात्मिक रूप से ड्रेस कोड' कई साल से लागू हैं जिनमें 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर, वाराणसी का काशी-विश्वेश्वर मंदिर, आंध्र प्रदेश में तिरुपति बालाजी मंदिर, केरल में पद्मनाभस्वामी मंदिर और तमिलनाडु में कन्याकुमारी में माता मंदिर शामिल हैं। 

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